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काव्य मैराथन में हार्दिक स्वागत अभिनंदन : रेखा जोशी-कुशलगढ...✍️

आपकी कलम Published by: paliwalwani.com Updated Tue, 20 Oct 2020 02:41 AM
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अदभूत कवयित्री ने एक मनमोहक मैराथन कविताओं अनुवाद बहुखुबी से किया। जब कोई साहित्यकार अपनी कलम से लिखता है तो उसकी सचना अपने आप में स्वर्ण अक्षरों के रूप में अंकित हो जाती है। आपका परिचय करा रहा हुं। साहित्य में गहन रूचि रखने वाली मैं श्रीमती रेखा जोशी से...आप साहित्य में रुचि के साथ-साथ लेखन में माहिर, संगीत और चित्रकला में भी काफी रुचि है। अपनी एक कविता के माध्यम से आप सबको सन्नाटा, खामोशी, परिदों, दौड़ती भागती जिंदगी में एक सकुन के पल ढूंढने का प्रयास किया। इस मैराथन कविताओं का अनुवाद किया जाएगा और एक रूसी अल्मानक में प्रकाशित किया जाएगा...हर दिन हम अपने एक दोस्त को ऐसा करने के लिए नामांकित करेंगे...आज मैं अपनी मित्र सविता मेनारिया को नॉमिनेट करती हूँ। वे बहुत ही संवेदनशील कवियत्री है। सविता साहित्यकार होने के साथ साथ सामाजिक कार्यकर्त्ता भी है। आपका काव्य मैराथन में हार्दिक स्वागत अभिनंदन है : रेखा जोशी-कुशलगढ...✍️

● वैश्विक महामारी कोरोना के समय लॉकडाउन और आनलॉक होने पर मन के भाव कुछ इस तरह कागज पर उतरे... 

सुने रास्ते...गहरा सन्नाटा...कहने को कुछ नहीं...।

सहमां सहमां सा हर शख्स है..।।

घरों में कैद सुकून है...।

आज आसमान में उड़ते मुक्त परिंदे भी 

जैसे चुप चुप हैं...।।

सोच में हैं...।

हर पल शोर मचाता है ये इंसान 

आज इतना खामोश क्यों है...!!

सब कुछ पा लेने की होड़

जैसे थम सी गई है...।

दिन-रात दौड़ता भागता जीवन...।।

परेशान सा... बदहवास सा...। 

आज हैरान सा है...। 

ठहर कर रह गया है...।।

कहां जाना है ..!...कहीं नहीं जाना...।

कहां ठिकाना है...! पता नहीं...।।

क्या यही सुकून है...!

क्या यही मंज़िल है...!

क्या यही पाना था...!!

पता नहीं...पता नहीं...।

कवयित्री : रेखा जोशी-कुशलगढ...✍️

● पालीवाल वाणी ब्यूरो...✍️

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