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प्रखर-वाणी : प्रवेश का वर्षों पुराना तरीका सर्वश्रेष्ठ था...सीधे कॉलेज जाकर प्रवेश फार्म पर दाखिला श्रेष्ठ था...

आपकी कलम Published by: प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड Updated Tue, 20 May 2025 03:02 AM
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उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखती नवपीढ़ी का प्रवेश अभियान शुरू...नई जिंदगी की नई राह पर नए परिवेश के साथ बन जाएंगे अब नए गुरु...कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है...नई पीढ़ी बारहवीं के रिजल्ट के साथ ही जिसकी बाट जोह रही है...नए प्रवेश नियम और ई-प्रवेश ऑनलाइन एप की जानकारी शासन ने दे दी है...

प्रवेश हेतु काउंसिलिंग की अलग अलग तिथि भी जारी कर दी है...प्रवेश उन्हीं परंपरागत तरीकों से होने जा रहा है...क्लिष्टतम प्रवेश प्रक्रिया की दुविधा पर युवा फिर रोने जा रहा है...प्रवेश का वर्षों पुराना तरीका सर्वश्रेष्ठ था...सीधे कॉलेज जाकर प्रवेश फार्म पर दाखिला श्रेष्ठ था...तब भी दस्तावेजों का परीक्षण महाविद्यालय की प्रवेश समिति करती थी...

आवश्यक प्रतिपूर्ति तक अस्थायी प्रवेश की अनुशंसा करती थी...सीधे महाविद्यालय पहुँचकर विद्यार्थी प्रवेश पा सकता था...उसको महाविद्यालय जाकर उचित नहीं लगता तो वो अन्य जगह जा सकता था...अब तो जहां प्रवेशित छात्र का महाविद्यालय में 75उपस्थित होना जरूरी है...वहां प्रवेश हेतु ऑनलाइन माध्यम का चयन कर महाविद्यालय उपस्थित होना गैर जरूरी है...ये कैसी व्यवस्था है जिसमें महाविद्यालय की प्रवेश फीस शासन को मिलेगी फिर शासन कॉलेज को लौटाएगा...

अपनी सम्बद्धता फीस पा लेने वाला विभाग कैसे कैसे कठिन मार्ग दिखाएगा.... ऑनलाइन प्रवेश व्यवस्था शुरू करते समय बड़ी आसान बताई गई थी...फिर उसी में अल्पसंख्यक कॉलेजों हेतु ऑफलाइन प्रवेश की गली सुझाई गई थी...ऑनलाइन प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी जानते हैं कि उन्हें पंजीयन से लगाकर पेपर वेरिफिकेशन तक कैसे पापड़ बेलना पड़ते हैं...लिंक फेल , लंबी लाइन और मूल दस्तावेजों से मिलान हेतु संत्रास झेलना पड़ते हैं...

सरकारी तंत्र इस दौरान हर गतिविधि का पात्र हिस्सा बन जाता है...अपने कॉलेज के प्रवेश में हिस्सा लेने से ज्यादा अन्य कॉलेजों के दस्तावेजों और अप्रूवल में उलझ जाता है...विश्वविद्यालय तथा उच्च शिक्षा विभाग से सम्बद्धता व मान्यता प्राप्त करके ही कॉलेज संचालित होता है...अपने यहां प्रवेश पाने वाले छात्रों की दुविधा को वो भी ढोता है...

लगता है ये निजी महाविद्यालयों पर अविश्वास का पैमाना है...नई शिक्षा नीति के दौर में प्रवेश कठिनता को दृढ़ इच्छाशक्ति से ही सरल बनाना है...प्रवेश प्रक्रिया को इतना आसान बनाया जाए कि विद्यार्थी हतोत्साहित न हो पाए...जिससे कॉलेज चलो अभियान को भी सफलता मिल पाए...

प्रवेश हेतु दो पक्ष गैर अल्पसंख्यक व अल्पसंख्यक कॉलेज के ध्रुवीकरण को जानना जरूरी है...आज भी फीस के अभाव में उच्च शिक्षा से बना रहे कई निर्धन दूरी है...इन तमाम मौजू प्रश्नों के साथ आखिर इस बार समय पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई इसके लिए सरकार बधाई का पात्र है...अधिक से अधिक विद्यार्थी प्रवेश लेकर उच्च शिक्षा हासिल करे हमारी चिंता तो यही मात्र है...नई महाविद्यालयीन जिंदगी शुरू करने वाले विद्यार्थियों का स्वागत है...भारत के भविष्य को सुरक्षित व संरक्षित करने वाले आप ही अभ्यागत हैं...

प्रो. (डॉ.) श्याम सुन्दर पलोड

लेखक , कवि एवं वक्ता : 4, श्रीराम मंदिर परिसर, सुदामा नगर, डी - सेक्टर, इंदौर (म.प्र.)

स्वरदूत - 9893307800

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