क्यों बढ़ रहा है धर्मों के बीच असभ्य विवाद...क्यों करते हैं कुछ तथाकथित लव जिहाद...एक सोची समझी रणनीति का पटाक्षेप...साजिशों के पिटारे निकलता है प्रेम प्रतिक्षेप...प्रेम की आड़ में घिनौना कृत्य बदनाम कर गया...मछली की तरह बालाओं को जाल में फंसाने का नाम कर गया...जिहाद ऐसा शब्द है जिसका अर्थ प्रयास है...
इसको संघर्ष बना देने का धार्मिक कयास है...कच्ची उम्र का असर लड़कियों पर सर्वाधिक होता है...जिहादियों का ध्यान बस उसी तरफ अधिक होता है...पहले प्रेमालाप का दाना डालते हैं...किसी के भय का संताप नहीं पालते हैं...चंद अखण्ड फुर्सत में रहने वाले मदरसों के प्रशिक्षित...हिन्दू युवतियों को कैसे फंसाया जाए इसमें होते हैं दीक्षित...अलग अलग क्षेत्रों में अपना पृथक अभियान चलाकर मिशन में लग जाते हैं...तितलियों की तरह रंग बिरंगी नव यौवनाओं को देख अरमान जग जाते हैं...
फिर ये पप्पू , बंटी , सोनू , कालू , लालू , भय्यू , मोनू जैसे नाम से पहचान करते हैं...अपने मिशन की तरफ सोशल मीडिया से भी उड़ान भरते हैं...लगातार फील्डिंग करने वालों का प्रभाव जम जाता है...इनका ध्यान भी किसी ऐसी ही उत्साही लड़की पर थम जाता है...पहले तो दोस्ती , भ्रमण और फर्जी केयर का ढकोसला...फिर लगातार घुमाते फिरते आभामंडल से मानस को कर देते हैं खोखला...एक दिन वो भी आता है जब होटल ले जाया जाता है...अपने वहशी अरमानों के जाल में फंसाया जाता है...लगातार ये सिलसिला फिर आम हो जाता है...
गोपनीय करतूत का वीडियो बनाकर कैसे बदनाम हो जाता है...लड़की को अब बदनामी का भयंकर भय सताता है...इसी क्रम में एक , दो , चार जिहादियों का कारवां जुड़ता चला जाता है...अब हथियारों और मारपीट का भी सहारा लिया जाता है...लड़की के पास समर्पण के अतिरिक्त कुछ नहीं बच जाता है...अपनी लूटी-पीटी आबरू को घृणित साजिशों के हवाले कर उसके पास कुछ नहीं रह पाता है...
अब शनै : शनैः लव जिहादी धर्म परिवर्तन का दबाव तक पहुँच जाता है...इस घटना तक पहुँचते - पहुँचते इतना लंबा वक्त हो जाता है...की अपने भविष्य का सोचने हेतु वक्त ही नहीं रह पाता है...सम्मोहन कला में माहिरों के कहने पर रोज़ा रख बुरका पहना जाता है...अब तो उसे यहीं रहकर जीना होगा रह रहकर ये ख्याल आता है...ये कैसा षड्यंत्र स्वतंत्र भारत की चौखट पर हो रहा है...अपनी आबादी बढ़ाने हेतु जालिमों का आपा खो रहा है...बेटियां भी अब मॉडर्न बनने की चाह में मर्यादाएं लांघ रही है..
.उड़ते परिंदों की तरह अपने लिए आजादी मांग रही है...इकलौती संतानों का मोह उन्हें खुले मैदान में विचरण की इजाजत दे देता है...खुले का खुलापन उनको चहुँओर भ्रमण की आदत दे देता है...यही सिलसिला कालांतर में आफत बनकर आता है...आंगन में चहकती बुलबुल को उड़ाकर ले जाता है...मर्यादित आचरणों के साथ बंदिशों को लागू करना होगा...हिन्दू समाज को भी अब अपनी संतति में इस जिहाद का सच भरना होगा...अच्छे विचारों के साथ जीने वाला समाज शाकाहार से मांसाहार की तरफ क्यों बढ़े...जिन राहों पर जीवन के कांटे हैं उनकी डगमग सीढियां क्यों चढ़े...
प्यार कहीं हथियार न बन जाये भावनाओं से खिलवाड़ का...शरीर कहीं अर्पण न हो जाये पंचर वाली जुगाड़ का...सोचो - समझो फिर माता - पिता का मशविरा पाकर निर्णय लो..योग्य व आपके जीवन को संवरने में मददगार हो उसको परिणय पूर्व प्रणय दो...ये हिन्दू समाज पर हो रहा अप्रत्यक्ष आक्रमण है इसको पहचानों...किसी के मोह व मकड़जाल में उलझने से पहले उसको व उसकी बिरादरी को जानो...और लव जिहादियों तुम भी समझ लो अब ये वहशियाना खेल नहीं चलेगा...जेल में चक्की पिसेगा वो हर शख्स जो भोली भाली लड़कियों को छलेगा...
तुम्हारा चाल , चरित्र व चेहरा अब उजागर हो रहा है...छलपूर्वक बलात्कारियों द्वारा हिन्दू लड़कियों से फसाद...आजकल बहुत घिनौना हो रहा लव जिहाद...लव जिहादियों को पकड़कर कठोरतम दण्ड देना जरूरी है...उनकी नसबंदी और हरकतों पर लगाम हेतु कमर तोड़ना मजबूरी है...पुलिस अधिकारियों को भी पूरी गैंग तक पहुँचना चाहिए...लामबंद होकर किये जाने वाले षड्यंत्र का भण्डा फोड़ना चाहिए...केरला स्टोरी की तरह चल रहे इस कृत्य की कमर तोड़ना चाहिए...जो अपराध के चरम पर पहुँचकर भी अकड़े उसका माथा फोड़ना चाहिए...
लेखक , कवि एवं वक्ता
4 , श्रीराम मंदिर परिसर, सुदामा नगर, डी - सेक्टर, इंदौर (म.प्र.)
स्वरदूत-9893307800