कानपुर के बिकरू कांड ने पिछले साल पूरे देश- दुनिया में हलचल मचा दिया था। कुख्यात अपराधी विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराने के बाद यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। इस घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग बनाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना के एक साल बाद न्यायिक आयोग ने एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी है। जांच आयोग की रिपोर्ट यूपी सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में पेश कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने माना है कि विकास दुबे और उसके गैंग को स्थानीय पुलिस के अलावा कानपुर के राजस्व और प्रशासनिक अफसरों का संरक्षण मिला हुआ था। विकास को अपने गांव बिकरू स्थिति घर पर दबिश पड़ने की खबर स्थानीय चौबेपुर थाने से पहले ही मिल गई थी। अपनी रिपोर्ट में न्यायिक आयोग का कहना है कि पुलिस के पक्ष और घटना से संबंधित साक्ष्यों का खंडन करने के लिए जनता या मीडिया की तरफ से कोई भी आगे नहीं आया। विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे ने पुलिस एनकाउंटर को फर्जी तो बताया था, लेकिन वह आयोग के सामने उपस्थित तक नहीं हुईं। इस तरह घटना के संबंध में पुलिस के पक्ष पर संदेह नहीं किया जा सकता है। मजिस्ट्रेटी जांच में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए थे।
गौरतलब है कि चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई, 2020 की रात को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। यह पुलिस टीम बिकरू निवासी कुख्यात माफिया विकास दुबे को पकड़ने उसके घर पर दबिश देने गई थी। पुलिस का आरोप है कि विकास दुबे और उसके गुर्गों ने एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी। इस घटना के हफ्ते भीतर ही विकास दुबे को मध्य प्रदेश की पुलिस ने उज्जैन में गिरफ्तार किया था।
पुलिस के अनुसार, विकास दुबे को जब पुलिस उज्जैन से कानपुर ले आ रही थी तो उसने भागने की कोशिश की और तभी मुठभेड़ में उसे मारा गया। तब इस बारे में उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने पत्रकारों से कहा था कि बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को पुलिस ने उज्जैन में गिरफ्तार किया था और उसे कानपुर लाया जा रहा था। कानपुर जिले में गाड़ी पलट गई तो विकास दुबे ने एक घायल पुलिसकर्मी की पिस्टल छीन ली और भागने की कोशिश करने लगा।