उत्तर प्रदेश : बच्चा चोरी की अफवाहों के कारण हो रही मारपीट की घटनाएं रोकने के लिए सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐसे अराजकतत्वों पर रासुका लगाने को कहा है। डीजीपी मुख्यालय ने शुक्रवार को इस तरह के मामलों में कार्रवाई के लिए पुलिस कप्तानों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि बच्चा चोरी की अफवाह से संबंधित हिंसक घटना करने वाली भीड़ में शामिल सभी व्यक्तियों की शिनाख्त कर उनके विरुद्ध जीरो टॉलरेन्स की नीति अपनाई जाए और अफवाह फैलाने के आधार पर हिंसा की घटना में मुकदमा दर्ज किया जाए।
डीजीपी मुख्यालय ने बच्चों की गुमशुदगी व अपहरण के मामलों में तत्काल एफआईआर दर्ज कर प्रभावी कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि बच्चा चोरी की किसी भी घटना की सूचना चाहे वह अफवाह हो या वास्तविक, उस पर उच्च स्तर की संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हुए तत्परता से कार्रवाई की जाए।
तत्काल एफआईआर दर्ज करें बच्चों की गुमशुदगी या अपहरण के मामलों में तत्काल एफआईआर दर्ज कर विवेचना करते हुए बरामदगी की जाए। सभी पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया गया है कि यदि कोई भी सूचना प्राप्त होती है तो तत्काल घटनास्थल पर पहुंचें। यदि सूचना असत्य है तो उसके संबंध में भी कार्रवाई की जाए।
बच्चा चोरी की अफवाहों को रोकने के लिए जिला स्तर पर डीएम तथा अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय गोष्ठी करने के निर्देश भी दिए गए हैं। डीजीपी मुख्यालय ने सभी गांवों व मोहल्लों में पीस कमेटी के सदस्यों, सिविल डिफेंस के पदाधिकारियों, ग्राम प्रधानों, सभासदों तथा अन्य सम्मानित लोगों के साथ स्थानीय निवासियों की गोष्ठी करके बच्चा चोर की अफवाहों पर विश्वास न करने और कानून अपने हाथ में न लेने के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया है।
राजपत्रित अधिकारियों के माध्यम से उन्हें यह बताया जाए कि इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम शासन एवं पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता है। चौकीदार को भी निर्देशित करने को कहा गया है कि वे कोई भी सूचना प्राप्त होने पर थाना प्रभारी को सूचित करें।
मथुरा में करीब 20 दिन पहले जंक्शन से और मेरठ एलएलआरएम कॉलेज के गाइनी वार्ड से 30 अगस्त को नवजात चोरी हो गया था। दोनों ही मामलों का खुलासा होने के बाद इन घटनाओं के बहाने जहां-तहां अफवाहें सामने आने लगीं।
अफवाहों की रोकथाम के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत विकसित ‘सी-प्लान एप’ का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके अलावा जिलों की सोशल मीडिया टीमों को भी सक्रिय करते हुए डिजिटल वॉलेंटियरों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
डीजीपी मुख्यालय ने जिले में इधर-उधर निराश्रित भटक रहे अर्द्धविक्षिप्त व्यक्तियों को चिह्नित कर उन्हें नियमानुसार उनके परिवारीजनों को सुपुर्द करने या अस्पताल भेजने की कार्रवाई स्थानीय मजिस्ट्रेट के सहयोग से करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि जिले के सोशल मीडिया सेल द्वारा 24 घंटे मॉनीटरिंग करते हुए अफवाहों का तत्काल खंडन किया जाए। सीसीटीवी कैमरों को सूचीबद्ध कर उनकी क्रियाशीलता का परीक्षण करके उनका भी उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।