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पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी जेल से रिहा : यह ऊपरवाले का आशीर्वाद

उत्तर प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Fri, 25 Aug 2023 08:52 PM
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उत्तर प्रदेश :

अमरमणि त्रिपाठी ने कहा है, यह ऊपरवाले का आशीर्वाद है. 20 साल से हम अपने माता-पिता के लिए इसका इंतजार कर रहे थे. आज वह घड़ी आ गई है. मैं और मेरा परिवार सभी बहुत खुश हैं. हर कोई खुश है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. इससे पहले अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में कारागार विभाग की ओर से रिहाई का आदेश जारी किया गया था. 

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को रिहा कर दिया गया है. अमरमणि और मधुमणि आज घर नहीं जाएंगे. दोनों अभी अस्पताल में ही रहेंगे. अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई पर उनके बेटे अमनमणि त्रिपाठी की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है. 

गोरखपुर के जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की थी. यूपी शासन के कारागार प्रशासन और सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने गुरुवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि त्रिपाठी की समयपूर्व रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया. अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया. अमरमणि की उम्र 66 साल और मधुमणि 61 वर्ष की हैं. इस समय अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हैं.

वहीं इस कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने कहा था कि उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और उन्हें अपनी और अपने परिवार के सदस्यों की जान को खतरा बताया था. कवयित्री मधुमिता की नौ मई 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, घटना के वक्त वह गर्भवती थीं. अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जिनके साथ वह कथित तौर पर रिश्ते में थे. इस मामले की जांच केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) को दी गयी थी.

देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था. 

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