कानपुर : सहारा इंडिया परिवार के कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से हस्तक्षेप कर भुगतान की गुहार लगाई है। कंपनी के एजेंटों ने महाना को बताया कि जमाकर्ताओं के भुगतान नहीं होने पर लगभग दो हजार कर्मी आत्महत्या करो चुके है। यदि सरकार के स्तर से हस्तक्षेप नहीं हुआ तो आत्महत्या करने वालों की की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी।
इससे पूर्व में सहारा कर्मचारी पीएम मोदी और यूपी की योगी सरकार से कई बार गुहार लगा चुके है। उन्हें भेजे गए पत्र में मांग की है, कि सहारा इंडिया के कोर्ट में चल रहे मामले का जल्द से जल्द निपटारा कराया जाए। लाखों कर्मचारी बेरोजगारी के कारण भुखमरी की कगार पर हैं।
जमाकर्ताओं द्वारा मुकदमा दर्ज कराए जाने के कई मामलों में सहारा कर्मचारियों जमानत पर है। सहारा के कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों पर धोखाधड़ी सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। पिछले दिनों कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र में सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहित कई शीर्ष डायरेक्टर पर मुकदमे दर्ज है। कुछ महीने पहले सहारा के जोनल कार्यालय काकादेव में एजेंटों ने जमा कर्ताओं का भुगतान नहीं होने पर दफ्तर में ताला डाल दिया था। जिसके चलते रात भर कर्मचारी कार्यालय में बंद रहे थे।
कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है,कि सहारा पिछले 10 साल से कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है। इस वजह से देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इस मामले का समाधान अभी तक नहीं हुआ है। आगे भी संभावनाएं नहीं दिख रही हैं। पत्र के माध्यम से मांग की है कि इस समस्या को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हस्तक्षेप कर समस्या का समाधान करें।
इस वजह से पूरे देश में करीब 12 लाख कार्यकर्ता और 13 करोड़ जमाकर्ता प्रभावित और बेरोजगार हैं। यह पूरे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा है। सहरा इंडिया परिवार के ममले का निस्तारण नहीं हाने से यह सभी बेरोजगार, प्रभावित, परेशान और भुखमरी की कमार पर हैं। इसकी वजह से हजारों लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इन्हें परिवार का भरण-पोषण करने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा, इसलिए आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
केंद्र और राज्य सरकार से मांग की गई है कि सहारा सेवी मामले पर संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द इसका निस्तारण कराया जाए। जिससे देश की गरीब जनता को न्याय और भुगतान मिल सके। इस पत्र में एम सिंह, जगन्नाथ, बीके विश्वकर्मा, सत्यजीत प्रजापति, याकेश श्रीवास्तव, बीके यादव, बीएन पांडेय और यसपी राय ने हस्ताक्षर किए हैं।