What is Kharmas हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानी 14 मार्च 2024 को सूर्य मीन राशि में प्रवेश कर रहा है, जिसके बाद खरमास की शुरुआत हो जाएगी. खरमास 14 मार्च से शुरू होकर 13 अप्रैल 2024 तक रहेगा. खरमास के दौरान शादी ब्याह, गृह प्रवेश, संपत्ति खरीदना, नवीन भवन निर्माण, बच्चों का मुंडन और इस प्रकार के मंगल कार्यों को करने की मनाही होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार मीन गुरु देव बृहस्पति की जलीय राशि है और जब इसमें सूर्य का प्रवेश होता है तो कुछ विशेष परिणाम बनते हैं. जिन कारणों से बीमारियां और रोग बढ़ने लगते हैं.खरमास के महीने को हिंदू धर्म में शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है.
खर शब्द, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है गधा। खरमास से संबंधित प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि एक बार सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे और उन्हें कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं थी. कहा जाता है कि अगर वह रुक जाते तो उसी दिन सारी गतिविधियां बंद हो जातीं. कुछ समय बाद, आराम न मिलने के कारण रथ से जुड़े घोड़े प्यासे और थक गए. यह देखकर सूर्य देव ने तनाव में आकर रथ को नदी के तट पर खड़ा कर दिया ताकि घोड़े अपनी प्यास बुझा सकें और थोड़ा आराम कर सकें.
अचानक, भगवान सूर्य को पता चला कि अगर उन्होंने अपना रथ रोक दिया तो पृथ्वी पर सभी गतिविधियां बंद हो जाएंगी और परेशानी हो जाएगी. तभी सूर्य देव ने तालाब के किनारे दो गधों (खर) को देखा. उसने सब घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए छोड़ दिया और दोनों गधों को अपने रथ से जोड़ लिया ताकि वह रुके नहीं. लेकिन, गधे ने रथ को धीमा कर दिया, लेकिन एक महीने का चक्कर किसी तरह पूरा हो गया और घोड़ों ने आराम कर लिया. अब, उन्होंने अपने रथ के साथ घोड़ों को जोड़ा और पूरे साल ऐसा ही चलता रहा और एक सौर मास यानी खरमास हर सौर वर्ष में एक बार आता है.
1. रिश्ते की बातचीत या शादी
2. गृह प्रवेश और भूमि पूजन
3. मुंडन और तिलकोत्सव
4. यगोपवित संस्कार यानी जनेऊ नहीं किया जाता है
5. नए का काम या नई चीजों को शुरू करने से बचा जाता है
खरमास के दौरान भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा निभाई गई है. ऐसा माना जाता है कि पूजा करने से व्यक्ति को शांति और समृद्धि प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है. इसके अलावा यह महीना दान, जप आदि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से दान करता है, उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा इस दिन ब्राह्मण, गाय, संत आदि की सेवा करने का विशेष महत्व है. साथ ही इस माह में आप तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं. तो, इस माह सच्चे मन से दान करें और सुखद जीवन जीएं.
माता की पूजा, नवरात्रि, होलाष्टक और होली आदि खरमास के दौरान ही आ रही हैं, ऐसे में कोई भी धार्मिक कार्य यानी पूजा-पाठ और हवन आदि किया जा सकता है लेकिन किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं. खरमास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, कलश स्थापना आदि काम नहीं किए जा सकते हैं. ज्योतिष के मुताबिक कि धनु और मीन गुरु राशि हैं. ऐसे में जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो वह मास खरमास कहलाता है.
पूजा और सेवा- खरमास में देवी-देवताओं, वेदों, ब्राह्मणों, गुरुओं, गायों और साधु-संतो की पूजा और सेवा करनी चाहिए. ये करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
भगवान विष्णु की पूजा- खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. इस पूरे महीने विष्णुसहस्त्रनाम और गीता का रोजाना पाठ करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
पवित्रता और तपस्या- खरमास में मन और शरीर की पवित्रता का पालन करना चाहिए, हो सके तो दिन में एक बार भोजन करना चाहिए, पत्तों पर भोजन करना चाहिए और जमीन पर सोने का भी विधान है.
शुभ कार्यों से बचना- संभावित प्रतिकूल परिणामों को देखते हुए खरमास के दौरान शुभ कार्यों को शुरू करने से परहेज करने की सलाह दी जाती है. ऐसे में शादी, गृह प्रवेश, मुंडन आदि कार्य नहीं करने चाहिए.
धार्मिक मान्यता है कि खरमास के दौरान सूर्यदेव, बृहस्पति की राशि में प्रवेश करके, अपने गुरु की सेवा पर ध्यान केंद्रित करते है, जिससे सांसारिक कार्यों पर उसका प्रभाव कम हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस कम प्रभाव की वजह से ही खरमास के दौरान किए गए शुभ कार्य अधिक सफल नहीं होते हैं. इसलिए इस दौरान शुभ या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है.