एप डाउनलोड करें

शनि का नक्षत्र परिवर्तन इन 4 राशि वालों के लिए हो सकता है सबसे खास, धन में वृद्धि के जबरदस्त आसार

धर्मशास्त्र Published by: Paliwalwani Updated Sun, 06 Feb 2022 02:42 PM
विज्ञापन
शनि का नक्षत्र परिवर्तन इन 4 राशि वालों के लिए हो सकता है सबसे खास, धन में वृद्धि के जबरदस्त आसार
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

वैदिक ज्योतिष में कर्मफल दाता और आयु प्रदाता शनि देव का गोचर और नक्षत्र परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही शनि की चाल बेहद धीमी मानी गई है। शनि देव एक राशि से दूसरी राशि में जानें पर लगभग 30 महीने का समय लेते हैं। आपको बता दें कि साल 2022 में शनि का राशि परिवर्तन भी है। लेकिन इससे पहले शनि देव नक्षत्र परिवर्तन करने जा रहे हैं। जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा लेकिन 4 राशियां ऐसी हैं, जिनको विशेष फादया हो सकता है

जानिए कब करेंगे शनि देव नक्षत्र परिवर्तन:

वैदिक पंचांग के अनुसार शनि वर्तमान समय में श्रवण नक्षत्र में संचरण कर रहे हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार श्रवण नक्षत्र में शनि देव का गोचर बीते 22 जनवरी 2021 को हुआ था। साथ ही शनि देव श्रवण नक्षत्र में 18 फरवरी 2022 तक रहेंगे। वहीं 18 फरवरी से शनि धनिष्ठा नक्षत्र में गोचर करेंगे। जहां पर शनि ग्रह अगले वर्ष यानि वर्ष 15 मार्च 2023 तक विराजमान रहेंगे।

इन राशि वालों को होगा धनलाभ:

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल हैं। इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देव अष्ट वसवाल हैं और राशि स्वामी शनि देव हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरण से उत्पन्न जातक की जन्म राशि मकर है और अंतिम दो चरण में जन्म होने पर राशि कुंभ। साथ ही इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर शनि और मंगल का विशेष प्रभाव होता है। इसलिए शनि ग्रह का नक्षत्र परिवर्तन मेष, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए शुभ रह सकता है। इस समय आपको व्यापार में अच्छा धनलाभ होगा। करियर के हिसाब से भी यह समय अच्छा रहने वाला है। 

ज्योतिष में शनि ग्रह का महत्व:

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। यह मकर और कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। साथ ही तुला राशि शनि की उच्च राशि है जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है। शनि का गोचर एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहता है। ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं। नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है। शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है। 

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next