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पितृ पक्ष श्राद्ध 2025 : बाबूलाल शास्त्री

धर्मशास्त्र Published by: paliwalwani Updated Sat, 06 Sep 2025 06:34 PM
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टोक. पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, यह भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक 16 दिन तक चलता है. इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मभोज श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कर्म किए जाते हैं. इन दिनों पितर पृथ्वी पर अपने वंशजों से तर्पण की अपेक्षा लेकर आते हैं, जो संतान श्रद्धा भाव से उनका स्मरण और तर्पण करती है. 

उन्हें पितरों की कृपा प्राप्त होती है, इससे पितृ दोष दूर होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है. इस काल में गंगा स्नान, ब्राह्मण भोज और दान करना पुण्यदायी होता हैं. 

मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध सस्थान टोक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने पालीवाल वाणी को बताया कि 7 से 21 सितंबर 2025 तक की अवधि में 16 दिन तक पूर्वजों के श्राद्ध तर्पण किये जायेगे.

  • रविवार, 7 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
  • सोमवार, 8 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
  • मंगलवार, 9 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
  • बुधवार, 10 सितंबर- तृतीया श्राद्ध एव चतुर्थी श्राद्ध
  • गुरुवार,  11 सितंबर- पंचमी श्राद्ध, महा भरणी
  • शुक्रवार, 12 सितंबर - षष्ठी श्राद्ध
  • शनिवार,13 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
  • रविवार, 14 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
  • सोमवार,15 सितंबर- नवमी श्राद्ध
  • मंगलवार,16 सितंबर- दशमी श्राद्ध
  • बुधवार,  17 सितंबर- एकादशी श्राद्ध
  • गुरुवार,  18 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
  • शुक्रवार, 19 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध, मघा श्राद्ध
  • शनिवार, 20 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
  • रविवार, 21 सितंबर- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

बाबू लाल शास्त्री ने बताया कि जिस परिवार  के मुखिया का जिस तिथि को स्वर्ग वास हुआ हैउस तिथि कोउनका आहवान कर  भोग लगाया जाता है.

बाबू लाल शास्त्री टोक राजस्थान ड. 9413129502

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