गुस्से में आकर मनुष्य क्या-क्या नहीं करता। गुस्से के बाद रह जाता है पछतावा और तनाव। हम गुस्सा न करें इसके लिए कितने ही उपाय करते हैं फिर भी पूरी तरह इसकी चपेट में आने से बच नहीं पाते। गुस्से से बचने के लिए जरूरी है गुस्से को समझने का प्रयास किया जाए। प्रस्तुत आलेख ‘गुस्सा control कैसे करें : गुस्सा रोकने के 5 आसान उपाय’ में आप अपने गुस्से को नियंत्रित करने के आसान उपायों के बारे में जानेंगे।
गुस्सा हमारे अंदर से पैदा होने वाली एक नॉर्मल फीलिंग है। समस्या तब होती है जब यह अनियंत्रित होकर एक घातक और आवेगपूर्ण भावना के जबरदस्त फ्लो में बदल जाता है। अनियंत्रित गुस्से का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जब हम गुस्से के आवेग में होते हैं, हमारे शरीर के अंदर हानिकारक केमिकल्स बनते हैं। जो हमारे पूरे नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्कुलेशन को नुकसान पहुंचाता है।
हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्याएं जैसी अनेक समस्याएं गुस्से के कारण भी पैदा हो सकती हैं। गुस्से के दौरान पेट में एसिड का स्राव नॉर्मल से अधिक हो जाता है, जो लगातार होते रहने पर पेप्टिक अल्सर का कारण बन सकता है। रिसर्च बताते हैं, हमेशा गुस्से और खीझ में रहने वाले व्यक्ति कैंसर की चपेट में जल्दी आता है।
गुस्से को लेकर दुनिया भर के डॉक्टर्स और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट ने अलग-अलग तरीके से रिसर्च किए हैं। गुस्से को नियंत्रित करने की प्रक्रिया को वे गुस्से के प्रबंधन यानी के रूप में देखते हैं। गुस्से का संबंध हमारे मनोविज्ञान से है इसलिए इसका प्रबंधन भी हमारी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया का अंग है। आइए जानते हैं, एक्सपर्ट और विभिन्न रिसर्च के आधार पर गुस्से को नियंत्रित करने के कुछ बेहद उपयोगी और कारगर उपाय। हमने इन उपायों को आजमा कर देखा है। यदि आप सचमुच अपने गुस्से को लेकर परेशान हैं तो आप भी इन उपायों को अपना कर देखें।
प्रायः दबा हुआ गुस्सा अधिक नुकासदेह होता है। अगर गुस्से की भावना को लगातार दबाए रखा जाए तो यह कभी न कभी फूटकर बाहर आने की कोशिश जरूर करेगी और तब इसके दुष्परिणाम अधिक बड़े होंगे। इसलिए जरूरी है गुस्सा को जमा होकर बढ़ने न दिया जाए।
लेकिन, सवाल उठता है गुस्से को व्यक्त करें कैसे? गुस्से को व्यक्त करने के लिए ऐसा तरीका विकसित कीजिए जो नुकसानदेह होने की बजाए कुछ क्रिएटिव करने जैसा हो। ये तरीके हो सकते हैं–
जिस स्थान और जिस व्यक्ति या परिस्थिति की वजह से आपमें गुस्से की भावना पैदा होती है उससे तुरंत अलग हो जाना एक बढ़िया उपाय है। गुस्सा आते ही आपको तुरंत उस जगह से हट जाना चाहिए। यह गुस्से की इंटेसिटी के बढ़ने की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का सबसे कारगर तरीका है।
जैसे, मान लीजिए आप अपने परिवार के किसी सदस्य के किसी व्यवहार को लेकर गुस्से में आ जाते हैं। ऐसे में आपको तुरंत कुछ देर के लिए कहीं बाहर निकल जाना चाहिए। लेकिन हां, आवेश को हर हाल में नियंत्रित करते हुए ही ऐसा करें। पैदल टहलते हुए जाना है, किसी वाहन से नहीं, अन्यथा आप बाहर किसी चोट या दुर्घटना के शिकार भी हो सकते हैं।
गहरी सांस लेना और फिरे धीरे-धीरे छोड़ना प्राणायाम का एक हिस्सा है। गुस्से का ट्रिगर होते ही, यानी गुस्से की भावना उठते ही, सतर्क हो जाइए। अपने शरीर को ढीला छोड़िए। फिर सांसों पर अपना ध्यान केंद्रित कीजिए, जैसे कि आप अपनी सांसों को देख रहे हों। इस तरह सांसों पर ध्यान टिकाए हुए गहरी सांस लीजिए। सांस छोड़ने की रफ्तार धीमा रखिए।यह प्रक्रिया आपके तनाव को तुरंत रिलैक्स करेगी।
दूसरों के विचार कितने उचित या अनुचित हैं, यह एक अलग मामला है। पहली नजर में तो सही यह है कि हम दूसरों के विचारों और व्यवहारों का सम्मान करें। लेकिन, अकसर हम दूसरों के विचारों और व्यवहारों से आहत हो जाते हैं।
हमारे खुद के अंदर की शांति भंग न हो इसके लिए जरूरी है हम आहत करने वाले विचारों और वर्तावों के प्रति उदासीनता अपनाएं। यदि ऐसा करना संभव नहीं हो रहा हो, तो पूरी कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे विचारों और व्यवहारों के संपर्क में आने से खुद को बचाएं। दूरी बनाए रखने की नीति अपनाएं।
यदि आप छोटी-छोटी बातों से गुस्से में आ जाते हैं, और ऐसा आपके साथ अकसर होता है तो आपको गुस्से की मूल वजह को सुधारना होगा। इसके लिए आपको लंबी रणनीति बनाकर काम करना पड़ेगा।
याद रखिए, गुस्सा आपके अंदर से पैदा होता है भले ही आपको लगता हो कि इसके लिए कोई बाहरी कारण जिम्मेदार है। गुस्सा ट्रिगर होने की वजह चाहे जो हो, गुस्से का पैदा होना या न होना आपके अपने हाथ में है। यानी, यह आपकी अपनी मानसिक दशा पर निर्भर करता है।
यदि आपको लगता है कि गुस्सा आपकी आदत में शुमार हो रहा है, तो समझ लीजिए आप अपने आप से कट रहे हैं। आपको अपने ऊपर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। हर व्यक्ति के भीतर एक कुदरती साम्यावस्था, यानी एक शांतिमय मजबूत अवस्था होती है। अपने भीतर इस स्थिति को निरंतर बनाए रखने के लिए लगातार जाग्रत और सतर्क रहना पड़ता है, अर्थात अपना बनाए रखना होता है।