जैसा के हम सभी लोग जानते है कि जब भी भगवान के पूजा-पाठ की बात आती है तो लहसुन और प्याज को उनसे दूर ही रखा जाता है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा और व्रत में वर्जित है। बतादें कि हमारे हिन्दू धर्म में अनेक मान्यता प्रचलित हैं, जिनका हम लोग पालन भी करते हैं। शास्त्रों के अनुसार विशेषकर प्याज और लहसून भगवान को चढ़ाने से मना किया गया है। इसलिए इन दोनों को धार्मिक कार्यों में प्रयोग नहीं किया जाता है।
ये जानते हुए कि प्याज-लहसुन गुणों की खान है, लेकिन इसके बाद भी व्रत के लिए बनने वाले किसी भी प्रकार के भोजन में प्याज-लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। आइए जानते हैं कि समुद्र मंथन के समय ऐसा क्या हुआ था, जिसके कारण लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा तथा व्रत में वर्जित है।
भगवान को लहसुन और प्याज का भोग न लगाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है कि श्रीहीन हो चुके स्वर्ग को खोई हुई वैभव-संपदा की प्राप्ति के लिए देव और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन करने के दौरान लक्ष्मी के साथ कई रत्नों समेत अमृत कलश भी निकला था। अमृत पान के लिए देवताओं और असुरों में विवाद हुआ, तो भगवान विष्णु मोहिनी रुप धारण कर अमृत बांटने लगे। सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे। तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया।
सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए. उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा। राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी, इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है।
आयुर्वेद में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – सात्विक, तामसिक और राजसी। इन तीन तरह के भोजन करने पर शरीर में सत, तमस और रज गुणों का संचार होता है।
इसमें ताज़े फल, ताज़ी सब्ज़ियां, दही, दूध जैसे भोजन सात्विक हैं और इनका प्रयोग उपवास के दौरान ही नहीं बल्कि हर समय किया जाना अच्छा है।
इस तरह के भोजन का मतलब बासी खाने से होता है। इसमें बादी करने वाली दालें और मांसाहार जैसी चीज़ें शामिल हैं।
यह बेहद मिर्च मसालेदार, चटपटा और उत्तेजना पैदा करने वाला खाना है। इन दोनों ही तरह के भोजनों को स्वास्थ्य और मन के लिए लाभदायक नहीं बल्कि नुकसानदायक है।