मान्यता है कि दिवाली की रात श्रद्धा और पूजन के माध्यम से जो व्यक्ति देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर लेता है, उसके जीवन में धन-धान्य कम नहीं होता है. देवी लक्ष्मी ऐसे व्यक्ति के साथ हमेशा रहती हैं. कई लोग दिवाली की पूजा को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए इस दिन व्रत भी करते हैं. दिवाली का त्योहार इस साल गुरुवार 4 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. दिवाली के आसपास पांच पर्व मनाए जाते हैं. इसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आदि मनाए जाते हैं.
क्यों मनाई जाती है दिवाली : जब 14 साल का वनवास काट कर राजा राम, लंका नरेश रावण का वध कर, वापस अयोध्या आए थे, उन्हीं के वापस आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने अयोध्या को दीयों से सजाया था. अपने भगवान के आने की खुशी में अयोध्या नगरी दीयों की रोशनी में जगमगा उठी थी. तब से अभी तक कार्तिक अमावस्या पर दीयों की रोशनी से अंधकार को दूर करने की प्रथा चली आ रही है, जिसको दीपावली यानी दिवाली के रूप में मनाया जाता है.
मां लक्ष्मी की पूजा : मान्यता है कि जो लोग दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनको साल भर धन की कमी नहीं होती है. लेकिन कई बार मां की पूजा में भूलवश भी हुई गलत चीजों का प्रयोग आशीर्वाद की जगह पाप का भागी बना देता है. इसलिए लक्ष्मी मां की पूजा करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है, आइए जानें क्या...
तुलसी को विष्णु प्रिय कहा जाता है और भगवान विष्णु के शालग्रिम स्वरूप से उनका विवाह हुआ है. इस नाते वह देवी लक्ष्मी की सौतन हैं. इसलिए देवी लक्ष्मी को कुछ भी अर्पित करते समय उसमें तुलसी और तुलसी मंजरी न डालें. ऐसा करने से लक्ष्मी मां नाराज हो जाती हैं.
लक्ष्मी पूजा करते समय कोशिश करें कि दीपक की ज्योत लाल रंग की हो. इसके अलावा दीए को भूलकर भी मां लक्ष्मी के बाईं ओर ना रखें, बल्कि दाईं ओर रखें, क्योंकि भगवान विष्णु को दुनिया में रोशनी फैलाने का प्रतीक माना जाता है और मां लक्ष्मी विष्णु भगवान की पत्नी हैं इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा करते समय दीए को हमेशा मां के दाईं ओर ही रखें.
मां लक्ष्मी सुहागिन हैं इसलिए भूलकर भी उन्हें सफेद रंग के फूल ना चढ़ाएं. लक्ष्मी मां की पूजा करते समय मां को केवल लाल और गुलाबी रंग के ही फूल चढ़ाएं.
लक्ष्मी मां की मूर्ति को भूलकर भी सफेद रंग की दरी पर ना रखें. साथ ही पूजा करते समय सफेद या काले रंग की किसी भी तरह की वस्तु को इस्तेमाल करने से बचें. ऐसी भी मान्यता है कि मां लक्ष्मी की पूजा करते समय भगवान विष्णु की भी आराधना करनी चाहिए, क्योंकि मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु पति-पत्नी हैं. इसलिए उनकी पूजा भी एक साथ करनी चाहिए. दिवाली पर लक्ष्मी मां और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद भी विष्णु भगवान की पूजा कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी भगवान विष्णु का साथ कभी नहीं छोड़ती. जहां विष्णु होंगे वहां देवी लक्ष्मी स्वयं आएंगी. देवी भागवत पुराण के अनुसार लक्ष्मी पूजन तभी सफल होता है जब गणेश वंदना के बाद लक्ष्मी-नारायण की आराधना की जाती है. लक्ष्मी मां की पूजा के बाद प्रसाद को मंदिर के दक्षिण तरफ रखें. दिवाली का जश्न मनाने से पहले घर के सभी लोग एक साथ मिलकर लक्ष्मी मां और गणेश जी की पूजा करें और प्रसाद जरूर ग्रहण करें.
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