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mystery : भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना, पत्थरों से निकलता है पानी, जिससे भरता है रामकुंड

राजस्थान Published by: Paliwalwani Updated Tue, 10 Aug 2021 09:33 PM
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राजस्थान के बांसवाड़ा से करीब 14 किलोमीटर दूर बना रामकुंड (फाटी खान) की खास पहचान है। यहां चट्‌टानों के बीच से पहाड़ी का पानी पसीने की तरह बूंद-बूंद कर टपकता है। इस पानी से करीब 200 फीट नीचे बना हुआ कुंड भरता है। जो कभी नहीं सूखता है। पत्थरों के बीच यह पानी कहां से आकर टपकता है? इसकी आज तक कोई जानकारी नहीं लगा पाया। पत्थरों में किसी तरह के छेद भी नहीं दिखते। फिर भी 12 महीने इन पत्थरों से पानी टपकता है।

इसकी पहचान तो रामकुंड के नाम पर है, लेकिन स्थानीय लोग इसे फाटी खान के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं कि इस जगह का नाता रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इससे आगे तीन किलोमीटर दूरी पर ही भीमकुंड भी है।यहां आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि भगवान श्रीराम वनवास के समय यहां आए थे। तब जंगल के बीच पहाड़ी इलाके में मां सीता को प्यास लगी। उस समय पानी की और कोई व्यवस्था नहीं थी। श्रीराम ने तीर चलाकर इस पहाड़ को भेद दिया था। तीर के वार से पहाड़ कट गया और पथरीली पहाड़ी के बीच रास्ता बन गया। पत्थरों को चीर कुंड बन गया। इससे जुड़े कुछ प्रमाण रामकुंड में संभालकर रखे गए थे, लेकिन जागरूकता के अभाव में स्थानीय बच्चों ने उन्हें उखाड़ फेंके।

यहां रामकुंड में प्रवेश से पहले पत्थरों के बीच प्राकृतिक कोठरी बनी हुई है। ठोस चट्‌टान के बीच एक पैर नुमा आकृति दिखाई देती है। कहते हैं कि अज्ञातवास के दौरान भीमकुंड में रहते समय भीम यहां पर बनी हुई गुफा में आराम करने आए थे। तब भीम को गुफानुमा कोठरी छोटी पड़ रही थी। लेटे हुए भीम ने पैर गुफा के पत्थर पर अड़ाया था, जिसके निशान आज भी हैं।

फाटी खान के कुंड में उतरते समय नीचे शिवलिंग स्थापित है। मान्यता है कि भगवान राम ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। रामेश्वरम से पहले भगवान राम ने यहां पर इस शिवलिंग की स्थापना की थी। इस शिवलिंग को भी स्वयंभू कहा जाता है।

रामकुंड में कभी न सूखने वाला पानी रहता है। वर्तमान में कुंड के निचले हिस्से तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। यहां रात के समय कोई भी रहने का साहस नहीं करता, इसलिए यहां रात में जंगली जीवों का डेरा रहता है। गर्मी के दिनों में जब, सभी प्राकृतिक स्त्रोतों का पानी सूख जाता है तब प्राकृतिक पत्थरों के बीच इस कुंड में पानी रहता है।

रामकुंड से जुड़े ये प्रमाण तो वह हैं जो दिखते हैं। वहीं कई अनसुलझे रहस्य भी हैं। पथरीली चट्‌टानों के बीच कई गहरी गुफाएं हैं। इनमें घुसने का कोई साहस नहीं जुटाता। इसकी वजह इनके भीतर जंगली जीवों का रहना भी बताया जाता है, लेकिन भीतर से अंदर ये गुफाएं कई किलोमीटर तक दूर ले जाती हैं। इसी तरह के कई अन्य रहस्य भी यहां हैं।

जिला मुख्यालय से तलवाड़ा तक करीब 12 किलोमीटर का सफर तय करना होता है। मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर की ओर मुड़ने के बाद करीब डेढ़ किलोमीटर आगे दो रास्ते पर दाएं ओर मुड़ना पड़ता है। यह रास्ता आगे जाकर फिर दो रास्तों में बंटता है। सीधे जाने वाला रोड भीमकुंड को ले जाता है जबकि, बाएं हाथ का मोड़ करीब 100 मीटर आगे रामकुंड को ले जाता है। यानी इस रूट पर आने के बाद पर्यटक सभी जगहों पर एक साथ घूम सकता है।

दरअसल, यह पहाड़ अंदर तक फटे हुए है। इनके बीच में लंबी दरारें हैं इसलिए इसे स्थानीय भाषा में फाटी खान कहा जाता है। वहीं टूरिस्ट के लिए भी यह जगह खास है। खासतौर सावन में यहां लोगों की खासी भीड़ हो जाती है। यहां हर महीने 200 से ज्यादा पर्यटक प्रकृति के इस खास नजारे को यहां देखने के लिए आते हैं।

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