कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए अधिकतर कंपनियों द्वारा वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मॉडल अपनाया गया। ऐसे में कई कंपनियां इस मॉडल पर अभी भी काम कर रही हैं। वहीं मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार वर्क फ्रॉम होम को लेकर व्यापक कानून बनाने की तैयारी कर रही है। इसमें कर्मचारी के काम करने के घंटे, घर से काम करने के कारण बिजली, इंटरनेट के उपयोग व अन्य खर्चों का भुगतान के नियम शामिल हैं।
कर्मचारियों के हितों की होगी रक्षा: एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि घर से काम के लिए एक पॉलिसी बनाने में मदद के लिए एक कंसल्टेंसी फर्म को भी शामिल किया गया है। ‘वर्क फ्रॉम होम’ का उद्देश्य बदले हालात में कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना है। इसको लेकर सरकार विशेषज्ञों से बात कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि सरकार इसके लिए अब सभी क्षेत्रों के लिए एक व्यापक औपचारिक ढांचा लाना चाहती है। बता दें कि वर्क फ्रॉम होम को कानूनी रूप देने के लिए सरकार के भीतर भी आम सहमति है। दरअसल मार्च 2020 में कोरोना महामारी के आने के बाद वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से देखा गया।
कई देशों में है यह चलन: वर्क फ्रॉम होम को लेकर भारत से पहले कई अन्य देशों में नियम-कानून बनाए जा रहे हैं। हाल ही में पुर्तगाल की संसद ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ को लेकर एक कानून पास किया है। जिसमें कर्मचारी की शिफ्ट खत्म होने के बाद कोई कंपनी उसे कॉल या मैसेज नहीं कर सकती है। वहीं अगर ऐसा करती है तो उस कंपनी पर जुर्माने का प्रावधान है।
अधिक काम लेने की शिकायतें: दरअसल कोरोना काल के बाद आए इस चलन में कई कर्मचारियों की शिकायतें रही हैं कि कंपनी उनसे तय वक्त से अधिक घंटे काम ले रही है। ऐसा नहीं करने पर कई बार उन्हें अपने बॉस के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा है। इसको देखते हुए भारत में भी ‘वर्क फ्रॉम होम’ को लेकर कानून लाने की तैयारी है।