धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने बयान में कहा कि ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के कई लोग ऐसे हो जो आपस में टकरा रहे है. बता दें कि भूमि 21 बार क्षत्रीय विहिन कर दी गई. जब एक बार ही क्षत्रियों को मार दिया गया तो सवाल उठता है कि 20 बार क्षत्रिय कहां से आए. यहां पर 21वीं बार की जरुरत क्या पड़ी.
धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों को कहानी सुनाते हुए कहा कि सहस्त्रबाहू जिस वंश से था उस वंश का नाम था हैहय वंश. इस हैहय वंश के विनाश के लिए भगवान परशुराम ने परसा अपने हाथ में उठाया. इसके बाद हैहयवंश का राजा बड़ा ही कुकर्मी, साधुओं पर अत्याचार करने वाला था और ऐसे आताताइयों के खिलाफ भगवान परशुराम ने परसा उठाया. बता दें कि शास्त्र में कहा गया है कि साधु का काम ही है कि दुष्टों को ठिकाने लगाते रहना है.
उन्होंने लोगों को कहानी सुनाते हुए आगे कहा कि जब आताताई राजाओं को मार दिया गया था तो फिर उनके बच्चों को हाथ नहीं लगाया और जब वह बच्चे युवा हुए और उन्होंने भी अत्याचार प्रारंभ किया. सभी बच्चों ने अपने पिता का बदला लेने के लिए भगवान परशुराम पर आक्रमण किया इसके बाद फिर भगवान परशुराम ने उन आताताइयों का वध किया.
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस बयान पर भाजपा नेता उमा भारती के कट्टर समर्थक प्रीतम लोधी और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जुबानी विवाद भी जमकर चर्चाओं में आया था. शास्त्री ने कहा कि वह नेता यदि मुझे मिल गया तो मैं उसे मसल दूंगा.
इनपुट- भाषा