नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने गुरुवार को यह साफ किया कि उसने छतों पर सोलर पैनल (rooftop solar panels) लगाने के लिए किसी भी विक्रेता या सप्लायर को ऑथोराइज नहीं किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण ऐसी खबरें सामने आने के बाद आया है कि कुछ वेंडर छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए खुद को मंत्रालय की तरफ से ऑथोराइज बता रहे हैं. ग्रिड से जुड़ी रूफटॉप सोलर योजना के दूसरे फेज में छतों पर सौर पैनल लगाए जा रहे हैं.
खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMS) की तरफ से तय दरों पर ही भुगतान करने की सलाह भी दी है. वितरण कंपनियां टेंडर प्रक्रिया के जरिये वेंडरों को अपने पैनल में शामिल करती हैं और छतों पर सौर पैनल लगाने की दरें भी निर्धारित करती हैं. रूफटॉप सौर योजना के तहत नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय पहले तीन किलोवाट बिजली पर 40 प्रतिशत सब्सिडी दे रहा है और तीन किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट तक सब्सिडी की दर 20 प्रतिशत है. इस योजना को राज्यों में स्थानीय बिजली वितरण कंपनियों के जरिये लागू किया जा रहा है.
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि हमारी जानकारी में आया है कि कुछ रूफटॉप सौर कंपनियां खुद को मंत्रालय की तरफ से ऑथोराइज्ड वेंडर बताकर छतों पर सौर पैनल लगा रही हैं. यह साफ किया जाता है कि मंत्रालय ने किसी भी वेंडर को इसके लिए अधिकृत नहीं किया है. राज्यों में यह योजना वितरण कंपनियां लागू कर रही हैं. उन्होंने निविदा के जरिये वेंडरों को अपने साथ जोड़ा है और सोलर पैनल लगाने की दर भी निर्धारित की हैं.