केरल.
कोझिकोड : पतंजलि आयुर्वेद और इसके संस्थापकों को अपने विज्ञापनों में किए गए दावों के लिए बढ़ती जांच का सामना करना पड़ रहा है.
विस्तृत जानकारी अनुसार केरल की एक अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक बाबा रामदेव और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अंग्रेजी और मलयालम अखबारों में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में 3 जून 2024 को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है. यह आदेश कोझीकोड में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट अदालत ने जारी किया.
बता दें की सहायक औषधि नियंत्रक, कोझीकोड के कार्यालय के औषधि निरीक्षक ने यह मामला दायर किया है. ज्ञात हो कि इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के द्वारा ज़ारी भ्रामक विज्ञापनों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, घेंघा, ग्लूकोमा और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों के लिए दवाओं से संबंधित दावों के कारण उनके लाइसेंस रद्द कर दिए थे.
बता दें कि पतंजलि उत्पादों का विपणन और बिक्री करने वाली दिव्य फार्मेसी के खिलाफ इस साल अप्रैल में सहायक औषधि नियंत्रक, कोझीकोड के कार्यालय के औषधि निरीक्षक ने यह मामला दर्ज किया था. यह ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 (बी) और 3 (डी) के तहत दायर किया गया था, जो कुछ बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाता है.
केरल राज्य के कोझिकोड में न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट 3 जून 2024 को इस मामले की सुनवाई होगी. इस मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की संभावना है. धारा 3(बी) विज्ञापनों में किसी भी दवा का जिक्र करने से रोकती है, जो सुझाव देती है कि इसका उपयोग यौन आनंद के लिए मनुष्यों की क्षमता को बनाए रखने या सुधारने के लिए किया जा सकता है.
धारा 3 (डी) विज्ञापनों को किसी भी दवा का संदर्भ देने से रोकती है, जो सुझाव देती है कि इसका उपयोग अनुसूची में निर्दिष्ट किसी भी बीमारी, विकार या स्थिति या किसी अन्य बीमारी, विकार के निदान, इलाज, शमन, उपचार या रोकथाम के लिए किया जा सकता है. या शर्त जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में निर्दिष्ट की जा सकती है.
पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव हाल ही में अपने उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुर्खियों में रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने आधुनिक चिकित्सा की उपेक्षा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
कोर्ट ने पतंजलि की दवाओं के विज्ञापनों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था और भ्रामक दावे करने के लिए इसके संस्थापकों को अवमानना नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पतंजलि यह झूठा दावा करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों का इलाज करती हैं, जबकि इसका कोई सही साक्ष्य नहीं है. रामदेव और बालकृष्ण के कोर्ट में पेश होने और माफी मांगने के बाद शीर्ष अदालत ने माफीनामे को अखबारों में प्रकाशित करने का आदेश दिया था.
हालाकि यह पहली बार नहीं था जब पतंजलि को झूठे विज्ञापन प्रकाशित न करने का निर्देश न्यायालय द्वारा दिया गया है. पिछले वर्ष नवंबर में भी इसी तरह का निर्देश जारी किया गया था, जिसके बाद पतंजलि ने आधुनिक दवाओं और टीकाकरण को लक्षित करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित न करने का वचन दिया था. हालांकि, कंपनी द्वारा इस वचन का पालन न करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वर्तमान कार्यवाही चल रही है.