ब्यौहारी :
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना को देश का ‘एक्स-रे’ करार दिया, जोकि ओबीसी, दलितों और आदिवासियों की स्थिति पर प्रकाश डालेगा और कहा कि ‘चाहे कुछ भी हो’ उनकी पार्टी केंद्र को इस कवायद को संपन्न कराने के लिए मजबूर करेगी.
राहुल गांधी ने कहा, ‘देश में ओबीसी, दलित और आदिवासियों की स्थिति का सच जानने के लिए हम केंद्र सरकार को जातीय जनगणना कराने के लिए मजबूर करेंगे. राजस्थान, और छत्तीसगढ़ में हमारी सरकारों ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू का दी है.
वह राज्य विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के ब्यौहारी में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, “जाति जनगणना देश का ‘एक्स-रे’ है. देश के आदिवासी, दलित, ओबीसी घायल हैं. आइए जांच करें… इससे तस्वीर साफ हो जाएगी.”
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लिखी गई एक किताब का जिक्र करते हुए गांधी ने कहा कि किताब में उल्लेख किया गया है कि गुजरात नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रयोगशाला है.
उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा, “लेकिन मध्य प्रदेश मृत व्यक्तियों के इलाज, व्यापमं, बच्चों के मध्याह्न भोजन, आदिवासियों और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार जैसे कई घोटालों की प्रयोगशाला है.” मध्य प्रदेश में एक ही चरण में विधानसभा चुनाव 17 नवंबर को होंगे. मतगणना तीन दिसंबर को होगी.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दावा किया कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौन बने हुए हैं। उन्होंने कहा,‘‘मोदी अपने आप को ओबीसी बताते हैं, पर जब भी जातिगत जनगणना की बात आती है, तो वह कहते हैं कि हिंदुस्तान में केवल एक जाति है और वह है गरीब।’’ उन्होंने दावा किया कि देश चलाने वाली केंद्र सरकार के 90 शीर्ष अफसरों में केवल तीन अधिकारी ओबीसी वर्ग के हैं। गांधी ने कहा,‘‘अगर हिंदुस्तान का बजट 100 रुपये का है, तो ओबीसी के अफसर केवल पांच रुपये के खर्च का निर्णय लेते हैं, जबकि आदिवासी अफसर केवल 10 पैसे के व्यय का फैसला लेते हैं।’’
इतना ही नहीं राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश और निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन कदमों के कारण ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग के लोग सरकारी भर्तियों से दूर हो गए हैं। माल एवं वस्तु कर (जीएसटी) को उक्त तीनों वर्गों के हितों के खिलाफ बताते हुए उन्होंने कहा इन तबकों के लोगों की जेब से जीएसटी वसूला जा रहा है और इस रकम से बड़े उद्योगपतियों को सरकारी बैंकों के जरिये भारी-भरकम कर्ज दिया जा रहा है।