मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले डिंडोरी के एक गांव में आजादी के सात दशक से ज्यादा बीतने के बाद भी विकास की रोशनी नहीं पहुंची। मेंहदवानी विकासखंड के घुघरा टोला गांव में बैगा जनजाति के करीब 350 लोग रहते हैं। बैगा जनजाति के लिए कई योजनाएं खास तौर पर संचालित होती हैं, लेकिन उनके इस गांव में न तो सड़क है, न ही अस्पताल। गांव वाले कहते हैं कि नेता यहां चुनाव के समय ही आते हैं। जनप्रतिनिधि गांव के पिछड़ेपन से वाकिफ हैं, लेकिन हालात में सुधार का केवल भरोसा ही दिलाते हैं। या फिर अधिकारियों के सिर दोष मढ़कर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं।
घुघरा टोला गांव में निवास करने वाले लोगों की सबसे बड़ी समस्या सड़क का नहीं होना है। इसके चलते वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। गांव में कोई अस्पताल भी नहीं है। सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस या चार पहिया वाहन गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं।बीमार व्यक्ति को परिजन अपने कंधे पर लादकर ले जाते हैं। पथरीले उबड़-खाबड़ रास्तों पर पैदल चलते हुए वे अस्पताल पहुंचते हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए खाट पर लिटाकर साढ़े तीन किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण के लिए वे इलाके के विधायक, सांसद, मंत्री से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। अब तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली है। ग्रामीणों की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि गांव में केवल चुनाव के समय ही आते हैं। उस समय तो तमाम वादे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतते ही भूल जाते हैं।