ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट (Flipkart) और पेमेंट में अग्रणी कंपनी फोनपे (PhonePe) ने अलग होने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। हालांकि, दोनों कंपनियां अभी भी अमेरिकी रिटेल दिग्गज वालमार्ट के तहत अपना परिचालन जारी रखेंगी। फोनपे का फ्लिपकार्ट की ओर से 2016 में अधिग्रहण किया गया था।
फ्लिपकार्ट से अलग होने से PhonePe पूरी तरह से भारत-नियंत्रित कंपनी बन गई है, यह प्रक्रिया इस साल की शुरुआत में शुरू हुई थी। इसने अक्टूबर में सिंगापुर से भारत में अपने बिजनेस को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की थी। बता दें, अलग होने की घोषणा आज शुक्रवार को की गई है।
इस लेन-देन के हिस्से के रूप में वॉलमार्ट के नेतृत्व में फ्लिपकार्ट सिंगापुर और फोनपे सिंगापुर के मौजूदा शेयरधारकों ने फोनपे इंडिया में सीधे शेयर खरीदे हैं। वॉलमार्ट दोनों व्यावसायिक समूहों का बहुसंख्यक शेयरधारक बना रहेगा।
इन व्यवसायों को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में स्थापित करने से दोनों को अपने स्वयं के विकास के लिए कार्य करने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि इन व्यवसायों को अलग-अलग संस्थाओं के रूप में स्थापित करने से निवेशकों को भारतीय तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में भाग लेने के लिए नए अवसर मिलेंगे और दोनों कंपनियों के शेयरधारकों के लिए एंटरप्राइज वैल्यू को अनलॉक करने और उसे अधिकतम करने में मदद मिलेगी।
PhonePe अगले साल आईपीओ लाने जा रही है। बता दें, कंपनी इसके लिए 8-10 अरब डॉलर का मुल्यांकन करने पर विचार कर रही है। कंपनी का फोकस आईपीओ लाने से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल वित्तीय सेवाएं पोर्टफोलियो, अपने प्रमुख यूपीआई आधारित पेमेंट के संचालन और बैंकिंग सेक्टर में निवेश करने का है।