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पुलिस और निगमकर्मी समझ लें, ये व्यापारिक शहर है, यहां आतंक न फैलाएं : श्री गोविंद मालू

इंदौर Published by: Ayush paliwal Updated Wed, 02 Mar 2022 09:50 AM
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इंदौर : इंदौर की पहचान जनसहयोग और दानशील शहर के रूप में है. जिसने विपदा में अपनी थैली खोली हैए संकट में साहस और संवेदना दिखाते हुए सहयोग की बांहें फैलाई हैं. इसलिए पुलिस व नगर निगम प्रशासन के कर्मचारियों द्वारा आए दिन व्यापारियों को अकारण धमकी प्रताड़ना देने के कई मामले आए हैं, पर इंदौर में यह नहीं चलेगा.

खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष और आनंद गोष्ठी के संरक्षक श्री गोविन्द मालू ने कहा कि सियागंज, रानीपुरा, महारानी रोड जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्रों कि राजस्व में बड़ा योगदान रहता है. वहां अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर पुलिसकर्मियों द्वारा वसूली करने का रवैया ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि सरवटे बस स्टैंड का पुनर्निर्माण समय पर पूरा न कर और पुराने रूट की बसें न चलाकर सिटी बस चलाने की योजना बनाने से भी व्यापारियों के समक्ष व्यावसायिक संकट खड़ा हो गया है, जो निगम प्रशासन की हठधर्मिता का परिचायक है. 

संपत्ति कर संग्रहण के लिए भी छोटे व्यापारियों को बगैर सूचना दिए दुकान पर निगमकर्मी ताले लगा रहे हैं, पर बड़े बकायादारों को छू भी नहीं रहे हैं। स्मार्ट सिटी के विकास में अपनी जमीन देने के बाद टीडीआर नहीं देकर उनके साथ धोखा किया जा रहा है. स्मार्ट सिटी के लिए अपने दुकान और मकान को तोड़कर जमीन देने वाले मालिकों को नए नक्शे पास करवाने पर स्मार्ट सिटी के नए प्रावधानों के नाम पर चार गुना फीस वसूलना मनमानापन है. इसी तरह आरई-2 के विकास के लिए बेटरमेंट चार्ज जैसा जजिया कर लगाना अन्याय व अतर्कसंगत है. कोठारी मार्केट में मेट्रो के लिए एक हजार दुकानदारों पर मनमाने पन की तलवार लटकाना भी शहर की तासीर के खिलाफ़ है. प्रशासन डर,भय आतंक न फैलाए. शहर की जनता का हित हमारे लिए पहले है, अधिकारी कर्मचारी की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

श्री गोविंद मालू के पहले भी विधायक श्री महेन्द्र हार्डिया भी निगम के आला अफसरों पर तानाशाही नहीं चलाने की बात कहा चुके हैं, बता दे : निगम अफसरों द्वारा लगातार मस्टर कर्मचारियों और विनियमितिकरण कर्मचारियों से 365 दिन काम कराया जा रहा हैं, जबकि नियमिति कर्मचारियों से कोई भी काम नहीं लेते हुए निगम पगार पूरी दे रहा हैं, सारे अवकाश की सुविधा भी उन्हें दी जा रही हैं, जबकि छोटे कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का अवकाश नहीं देना भी तानाशाही की श्रेणी में आता हैं, स्थाईकरण के आदेश भी निगम अफसरों ने रोक रखे हैं, वही एरियर राशि भी नहीं देकर विनियमितिकरण कर्मचारियों के साथ अन्याय हो रहा हैं, कहीं खामोशी आने वाले दिनों में भाजपा पर भारी ना पड़ जाए.

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