एप डाउनलोड करें

विपत्ति में भगवान से बड़ी कोई सम्पत्ति नहीं, चिन्मय शरणम सभागृह में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ का कल होगा समापन

इंदौर Published by: Paliwalwani Updated Sun, 18 Sep 2022 11:22 PM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

इंदौर ।  भक्तों पर जब-जब विपत्ति आती है, भगवान स्वयं उनकी संपत्ति बन जाते हैं। विपत्ति में भगवान से बड़ी कोई सम्पत्ति नहीं होती। गोवर्धन पूजा ब्रज के भक्तों को इंद्र के प्रकोप से बचाने और राजा इंद्र के अहंकार को ध्वस्त करने की लीला है। भगवान चाहते तो अकेले ही गोवर्धन पर्वत उठा सकते थे, लेकिन अपने बाल-ग्वाल, सखाओं का सहकार लेकर उन्होंने जहां आधुनिक सहकारिता की स्थापना की, वहीं अपने देवत्व को भी चतुराई से छिपाए रखा।

ये दिव्य विचार हैं स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती के, जो उन्होंने स्कीम 78 स्थित चिन्मय शरणम सभागृह में लोकेशचंद्र गोयल की स्मृति में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में विभिन्न प्रसंगों के दौरान व्यक्त किए। कथा में गोवर्धन लीला सहित विभिन्न प्रसंगों का जीवंत मंचन भी किया गया। मनोहारी भजनों पर समूचा सभागृह पहले दिन से ही झूम रहा है। आज कथा शुभारंभ के पूर्व रामनिरंजन लोहिया, इंद्रबहादुर मिश्रा, श्रीमती सरला गोयल, श्रीमती निर्मलासिंह, सुधांशु शर्मा, उषा गुप्ता एवं प्रमोद कुमार सूद शिवानी मालू, वशिमा गोयल, कृष्णप्रताप उपाध्याय, राकेशचंद्र मिश्रा, पद्मिनी शर्मा एवं नवनीत झालानी ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा समापन सोमवार, 19 सितम्बर को सुदामा चरित्र एवं भागवत पूजन के साथ होगा।

स्वामी प्रबुद्धानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान की लीलाएं समझना हमारे बूते की बात नहीं है। उनका अवतरण प्राणी मात्र के कल्याण के लिए ही हुआ है। वे हमारा उद्धार भी करते हैं और पता भी नहीं चलने देते कि उन्होने हम पर कितना बड़ा उपकार किया है। ईश्वर ने हमें बहुत सी खूबियां दीं हैं, लेकिन इनका कहां और कैसे उपयोग करें, इसकी प्रेरणा भागवत जैसे ग्रंथों और सदगुरू के सानिध्य में ही संभव है। भगवान आस्था, श्रद्धा और विश्वास का विषय है। हमारे विश्वास में दृढ़ता होना चाहिए। धागे के बिना वस्त्र नहीं बन सकता, उसी तरह परमात्मा के बिना किसी भी जीव या सृष्टि की रचना नहीं हो सकती।

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next