sunil paliwal-Anil Bagora
भोपाल.
प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने किरायेदारी मॉडल तैयार किया है, नए किरायेदारी अधिनियम में कारोबारी गतिविधि के लिए 6 महीने का अग्रिम किराया, बिना मकान मालिक की अनुमति उपकिरायेदारी पर पाबंदी, अनुबंध उल्लंघन पर कार्रवाई, और मालिक के बिना सूचना परिसर में प्रवेश पर सख्त नियम हैं।
नगरीय क्षेत्र में आवास किराये पर लेकर उसमें कारोबार संचालित करना आम बात है लेकिन अब बिना मकान मालिक की अनुमति ऐसा नहीं किया जा सकेगा। यदि कारोबारी गतिविधि संचालित करनी है तो छह माह का किराया अग्रिम देना होगा।
किरायेदार परिसर किसी और को किराये में भी नहीं दे सकेगा। ऐसा पाया जाता है तो इसे अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। इसका प्रविधान भारत सरकार के दिशा निर्देश पर तैयार किए गए किरायेदारी अधिनियम के प्रारूप में किया जा रहा है।
मुख्य सचिव अनुराग जैन की सहमति मिलने के बाद प्रविधानों को अब नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा। उधर, फायर एक्ट भी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है।
भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन सहित अधिकतर नगरीय निकायों में बड़ी संख्या में आवास किराये पर दिए जाते हैं। कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराये, मकान के संधारण और खाली कराने को लेकर विवाद होता है। मामले कोर्ट तक पहुंच जाते हैं।
इसे देखते हुए मकान मालिक और किरायेदार के हितों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम का प्रारूप बनाकर सभी राज्यों को अपने-अपने अधिनियम में संशोधन करने के लिए भेजा था। प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इसके आधार पर प्रारूप तैयार किया है, जिसे 16 दिसंबर से प्रारंभ होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने की तैयारी है।
इसमें प्रविधान किया है कि किरायेदार बिना मकान मालिक की सहमति के किसी और को उप किरायेदार नहीं रख सकेगा। यदि दोनों के बीच सहमति बनती है तो उप किरायेदार रखा जा सकता है और इसकी सूचना किराया प्राधिकारी को देनी होगी।
किरायेदार अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो प्रथम दो माह तक दोगुना और इसके बाद चार गुना मासिक किराया देना होगा। आवासीय प्रयाेजन के लिए किराये पर मकान लेने के बाद वहां कारोबार करने की अनुमति नहीं रहेगी। यदि ऐसा किया जाता है तो छह माह का किराए अग्रिम देना होगा।