इंदौर :
नगर पालिक निगम इंदौर के एमआईसी राजस्व विभाग प्रभारी श्री निरंजन सिंह चौहान (गुड्डू) के विशेष प्रयासों से दिनांक 11 फरवरी 2023 को नगर पालिक निगम इंदौर में नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए, काफी सालों बाद बेहतर व्यवस्थाओं के साथ राजस्व संग्रह करने वाली टीम का मनोबल बढ़ाने में अहम रोल अदा किया. इसी कारण से शहर के प्रथम महापौर पुष्पमित्र भार्गव के अर्थक प्रयासों से इंदौर के समस्त करदाताओं को वित्तीय वर्ष 2022-2023 की अंतिम तथा कैलेंडर वर्ष 2023-2024 की प्रथम लोक अदालत की जानकारी के लिए व्यापाक रूप से प्रचार-प्रसार कर राजस्व वृद्वि में बढ़ौत्री संभव हो पाई.
इंदौर नगर पालिक निगम के 10 साल से इंदौर बकायादारों से कर वसूली को लेकर शनिवार को लोक अदालत के अंतर्गत नगर निगम ने मुख्यालय व जोन कार्यालय पर शिविर लगाए. जहां दस हजार से अधिक बकायादारों से संपत्ति और जलकर की राशि वसूली गई. मगर निगम के सबसे बड़े बकायादार आइडीए से एक रुपया भी जमा नहीं हुआ है. शिविर के माध्यम से निगम के खजाने में करीब साढ़े 18 करोड़ रुपये जमा हुए. निगम अधिकारियों ने घर-घर जाकर भी करदाताओं से बकाया राशि जमा करवाई है.
नगर निगम मुख्यालय व 19 जोन कार्यालय पर सुबह 9 बजे से शिविर लगाया, जिसमें बकायादारों को संपत्ति कर, जलकर के सरचार्ज में छूट दी गई. दिनभर में 10200 रसीदें काटी, जिसमें 17 करोड़ से अधिक संपत्ति कर जमा हुआ है. जलकर में एक करोड़ तीस लाख रुपये की राशि आई. शिविर का दौरा करने महापौर पुष्यमित्र भार्गव व निगमायुक्त प्रतिभा पाल भी पहुंचीं, जहां दोनों ने बकाया राशि जमा करने वालों से बातचीत की. अधिकारियों के मुताबिक, आइडीए से नगर निगम को 20 करोड़ बकाया राशि वसूलना थी, लेकिन वहां से कोई राशि जमा नहीं हुई है. इन्हें निगम की तरफ से नोटिस भेजा जाएगा। अब आइडीए को कोई छूट नहीं रहेगी.
अधिकारियों ने बताया कि बड़े बकायादारों की सूची बनाई थी. उन प्रकरणों में से 60 फीसद बकायादारों ने राशि जमा करवा दी. नगर निगम अपर आयुक्त अभिषेक गेहलोत के मुताबिक शिविर में बकायादारों से जमा राशि का आकलन चल रहा है. आंकड़े आने में एक दिन का समय लगेगा. वैसे संपत्तिकर और जलकर मिलाकर बीस करोड़ रुपये का लक्ष्य है.
राजस्व अमला की टीम को भी इस बात की प्रशंसा हुई कि चलो किसी ने तो हमारी खेर खबर ली. वरना प्रतिदिन वसूली का टारगेट कई कर्मचारियों को टेंशन दे रहा है, और प्रतिमाह होने समीक्षा बैठक भी प्रत्येक तीन माह में आयोजित की जाना चाहिए और राजस्व आमले से पूछा जाना चाहिए कि निगम में बेहतर आय के लिए और कर दाताओं को कैसी सुविधा मुहैया कराई जा सके.
राजस्व अमला निगम की आय के लिए रीढ़ की हडी बनी हुई है, उसे प्रताड़ित और मानसिक रूप से अगर परेशान हुई तो निगम की आय पर असर पड़ सकता हैं, क्योंकि सुपर स्टाप को हमेशा सारी सुविधा मुहैया कराकर हमेशा स्वस्थ और चुस्त रखने का काम भी राजस्व विभाग के प्रभारी का है, इस और शीघ्र ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता हैं. अथवा कई कर्मचारी लगातार राजस्व विभाग से ट्रासर्फर मांग रहे है, क्योंकि टारगेट के नाम पर उन्हें इतना मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है कि उनका अब राजस्व विभाग में दम घूट रहा हैं. शासकीय अवकाश के दिनों में भी लगातार काम लिया जाता है, जबकि अन्य विभाग उस दिन बंद रहते हैं.