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Jain wani : पुण्य स्मरण दिवस : गणाचार्य विराग सागरजी को शत-शत नमन

इंदौर Published by: paliwalwani Updated Sun, 06 Jul 2025 02:23 AM
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इंदौर. 2 मई 1963 को जन्मे और 4 जुलाई 2024 को सललेखना पूर्वक समाधिस्थ हुए श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ संत गणाचार्य विरागसागर जी महाराज के प्रथम पुण्य स्मरण दिवस  (समाधि दिवस) पर हम उनका पुण्य स्मरण करते हुवे कोटि-कोटि नमन करते हैं। 

गणाचार्य विराग सागर जी कोई सामान्य संत नहीं थे, आपका भी संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की तरह अपने आचार्यत्व को सफल करते हुए श्रमण परंपरा  के उन्नयन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।आप एक उत्कृष्ट क्षयोपशम धारी शिरोमणि संत थे और आपने अपनी साधना काल के 45 वर्षों में ऐसे अनेक कीर्तिमान स्थापित किये जिसकी गौरव गाथा युगों युगो तक इतिहास गाता रहेगा।

लगभग 550 शिष्य, प्रशिष्यों के नायक गणाचार्य विराग सागर जी निमित्तज्ञानी भी थे और अपनी समाधि का काल निकट जानकर एक दिन पूर्व ही उन्होंने अपने अंतिम उपदेश में सार्वजनिक रूप से स्वशिष्य, पर शिष्य,स्व गण,से पर गण से क्षमा याचना पूर्वक उत्तमार्थ प्रतिक्रमण कर आगम की व्यवस्था अनुसार अपने पद का भार एवं उत्तराधिकारी अपने श्रेष्ठ और बहु चर्चित शिष्य परम पूज्य चर्या शिरोमणि धरती के देवता आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज*\ को दिए जाने की घोषणा करते हुए संघ का परित्याग कर दिया और पूर्ण निर्विकल्प होकर समाधि का एक अभूतपूर्व व सर्वश्रेष्ठ एवं उत्कृष्ट कीर्तिमान स्थापित कर समाधिस्थ हो गए। ऐसे श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ साधक के प्रथम पुण्य स्मरण दिवस पर कोटि-कोटि नमन* 

नमोस्तु शासन जयवंत हो 

डॉ. जैनेंद्र जैन, राजेश जैन दद्दू

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