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Jain wani : जीवन में अच्छा चाहते हो तो क्रोध मान माया लोभ छोड़ो : मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Sat, 26 Apr 2025 01:48 AM
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राजेश जैन दद्दू 

इंदौर. 

शुभ विचारों के अभाव में जीव आनंद से वंचित हो दुखी हो रहा है। चित्त चलायमान है और कर्म बंध प्रतिक्षण हो रहा है। आपके विचारों के अनुसार कर्म बंध होते हैं। बुरे विचार सभी को आते हैं देव शास्त्र गुरु और अपने माता-पिता  के प्रति भी बुरे विचार कर लेते हैं। जीवन में अच्छा चाहते हो तो पहले क्रोध, कषाय, मान, माया लोभ से मुक्त होने का पुरुषार्थ करो और अपनी पांचो इंद्रियों को नियंत्रित कर संयमी बनो। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि यह उद्गार दिगंबर जैन आदिनाथ जिनालय छत्रपति नगर में आज धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज ने व्यक्त किये.

धर्म सभा को उपाध्याय श्री विश्रुत सागर जी महाराज ने भी संबोधित करते हुए कहा कि जिनके पुण्य का उदय होता है उन्हें ही देव शास्त्र गुरु के पाद मूल में बैठने और जिनवाणीश्रवण करने का अवसर मिलता है। आपने कहा कि मंदिरों में शुभ भावों की चर्चा और मंत्रों का वाचन होना चाहिए लेकिन आजकल लोग मंदिरों में कषायों का वचन और गोष्ठी करते हैं एवं स्वयं की आलोचना करने के बजाय देव शास्त्र गुरु की आलोचना करते हैं जो शुभ संकेत नहीं है। आपने कहा कि मंदिर देव शास्त्र गुरु की आराधना करने और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का स्थान है इसलिए मंदिरों की पवित्रता और उसकी गरिमा का ध्यान रखते हुए सच्ची श्रद्धा प्रकट करना चाहिए। 

धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि धर्म सभा में मुनि श्री समत्व सागर जी महाराज के गृहस्थ जीवन के माता-पिता डॉक्टर अभय जैन एवं श्रीमती अनीता जैन ने आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। सभा का संचालन डॉक्टर जैनेंद्र जैन ने किया।

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