इंदौर । (सुनील पालीवाल की कलम से...) समाज के चुनाव के बाद से ही श्री पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर में खींचतान चरम सीमा में दिख रही थी...लेकिन खींचतान की इतनी लंबी लकीरें हो जाएगी...ऐसा किसी ने नहीं सोचा था। अब चुनाव का कार्यकाल शनै...शनै...समाप्ति की ओर अग्रसर है, वैसे...वैसे...राग, देष, हीन भावना धीरे-धीरे समाज में गंभीर रूप से प्रकट होती जा रही है।
पालीवाल वाणी ने वर्तमान कार्यकारिणी पर मौन धारण और प्रोटोकाल का पालन ईमानदारी पूर्वक किया...लेकिन वर्तमान कार्यकारिणी में प्रोटोकाल की परिभाषा ही बदल गई, प्रोटोकाल किसे कहते है शायद इस शब्द का ज्ञान हमें भी नहीं है लेकिन समाज के कई पूर्व अध्यक्ष महोदय के कामकाज पर हमने अपनी बेबाक टिप्पणी कर समाजजनों को अवगत कराया था...उन्होंने कभी-भी हमें प्रोटोकाल की बात ध्यान केंद्रित नहीं कराई, बल्कि कई बार हमें शबासी देकर कहां कि समाज में सच बोलने वाला भी चाहिए...ताकि हमें हमारी गलतियों पर काम करने का मौका मिल सके। लेकिन वर्तमान कार्यकारिणी हमेशा विवादों में रहकर प्रोटोकाल का पालन करती रही...। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पालीवाल समाज की धर्मशाला में विराजमान श्री चारभुजानाथ मंदिर परिसर में शपथ विधि समारोह के दौरान निरीक्षण समिति का गठन की घोषणा हुई थी जो आज दिनांक तक कौन से दस्तावेंजों में कैद है किसी भी सदस्यों को पता नहीं। कई सदस्य समय-समय पर गंभीर मुद्वे उठाने का प्रयास सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से कर रहे है, जिसे मैं उचित नहीं मानता हुं लेकिन उनकी आवाज को दबा दी जाएगी तो उन सदस्यों के पास सोशल मीडिया का सहारा ही उपयुक्त प्लेटफार्म है, जिस पर अपनी बेबाक टिका-टिप्पणी प्रस्तृत कर समाज में चल रही गतिविधियों का एक आईना समाज सदस्यों को दिखाना जरूर हो जाता है। आज एक बार फिर समाज अघ्यक्ष श्री श्याम दवे ने सोशल मीडिया में एक वीडियों वायरल कर खुली लड़ाई लड़ने का अपना इरादा जाहिर कर दिया...वही पलटवार भी खुब हो रहे है, सोशल मीडिया में जमकर एक दुसरे पर खुला आरोप लगाकर समाज को बदनाम करने का कृत्य कर रहे है। बेचारे समाज के सदस्यों को समझ में नही आ रहा है कि वो कौन सी नाव में सफर करे...उनका मन बहुत दुखी और आहत है कि काश चुनाव में वोट नहीं डालता तो आज समाज का कुछ तो भला होता...हर तरफ एक ही शोर है कि प्रोटोकाल से किसे फायदा हो रहा है। हम भी मजबूर है और समाज के प्रोटोकाल का पालन करते हुए सोशल मीडिया में जारी शीतयुद्व का खुब आनंद उठा रहे है, आईए आप भी आनंद के पलों पर नजर रखे और हमें भी अवगत कराते रहे...ताकि समय-समय पर पालीवाल वाणी भी प्रोटोकाल का नजारा आप तक समयानुसार पहुंचती रहे। किसी की भावना आहत करना हमारा मकसद नहीं है, लेकिन सच को सच बोलना भी किसी से कम नहीं है।
● पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर के कार्यकारिणी के सम्मानिय सदस्य श्री शिवलाल पालीवाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से अध्यक्ष महोदय के समाने कई सवालों की झड़ी लगा दी। पालीवाल समाज के अध्यक्ष महोदय श्री श्याम जी दवे साहब आप श्री द्वारा एक वीडियो आज दिनांक 31.10.2020 को लगभग सभी ग्रुपों में प्रेषित किया गया है।
● क्या यह बिल्कुल सत्य कथन है जो आप श्री ने बोला है पुन्ह विचार करिए आप और निम्न बिंदुओं पर श्रीमान का. ध्यान समाज जन चाहेंगे। क्या समाज की कार्यकारिणी साधारण सभा से ऊपर है अगर नहीं है तो फिर साधारण सभा के निर्णय को कार्यकारिणी के चंद् लोगों के द्वारा परिवर्तन करने का कौन से मैन्युअल की किस धारा के तहत अधिकार दिया गया है बताने का कष्ट करें।
● अगर संबंधित परिवार की प्रसादी का निर्णय बदलना ही था तो साधारण सभा में इसको पास कराया जाना अति आवश्यक था जो नहीं कराएगा। एवं ना ही साधारण सभा की जानकारी में आप श्री के द्वारा या आप की कार्यकारिणी के किसी सदस्य द्वारा यह आपत्ति नहीं ली गई कि समाज के ₹35000 खर्च होते हैं क्यों आपत्ति नहीं ली थी आपत्ति ली होती तो साधारण सभा कुछ फैसला अवश्य जो उचित लगता हो देती।
● आप श्री को समाज कोष की इतनी ही चिंता है तो फिर आपने समाज की धर्मशाला में जो सीढ़ियों का निर्माण कराया गया है एवं बजरंग वाटिका में जो चद्दर डाले गए वह कार्य समाज के ही व्यक्ति द्वारा किए जा रहा था तो आप श्री ने क्यों नहीं करने दिया गया। समाज का व्यर्थ में एक लाख से ऊपर आपने लगा दिया क्या इसकी आपको कोई चिंता नहीं है।
● प्रसादी चाहे समाज करें या संबंधित परिवार करें आपके द्वारा जो संबंधित परिवार को हटाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई है उसका हमारा विरोध है।
● यह कि आप संबंधित परिवार को जो आप के कथना अनुसार ही 2006 और 7 से प्रसादी कर रहा है पूर्व अध्यक्ष महोदय श्री भंवर लाल जी दवे साहब की अनुमति से तो फिर उस संबंधित परिवार को उनके खिलाफ लिए जा रहे हैं निर्णय के लिए मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया गया।
● आपने जो प्रक्रिया अपनाई है उसका हम सभी विरोध करते हैं एक तरफा कार्रवाई की गई हमेशा दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात किसी वाद विवाद का निर्णय दिया जाता है क्या आपने इसका पालन किया।
● क्या आप श्री के द्वारा संबंधित परिवार से यह पूछा गया कि 35000 समाज के खर्च हो रहे क्या आप वहन करेंगे नहीं पूछा गया क्यों नहीं पूछा जबकि संबंधित परिवारों 35000 भी वहन करने के लिए तैयार थे।
● समाज की धर्मशाला में जो मंदिर स्थित है क्या उसकी पुताई का पैसा भी संबंधित परिवार से चाहते हैं आप बताने का कष्ट करें।
जहां तक ऐसा ज्ञात हुआ है कि आप श्री के द्वारा प्रोसीडिंग रजिस्टर में निर्णय लिख लिए जाने के पश्चात संबंधित से यह भी कहा गया है कि
● वह एक माफीनामा लिखकर दें कि परसादी मैं करना चाहता हूं यह कहां तक उचित और न्याय की बात है, प्रोसीडिंग आपकी लिखी आपने संबंधित परिवार से माफीनामा किस बात का मांगा जा रहा था बताने का कष्ट करें।
● श्रीमान अध्यक्ष महोदय कहीं न कहीं गलती या चूक अपने से भी हुई है उससे भी स्वीकार किया जाना मेरे मतानुसार उचित होता है।
संबंधित परिवार के मुंह से हमने कभी यह बात नहीं सुनी की प्रसादी वह कर रहा है उन्हें जब भी कहां प्रसादी समाज कर रहा है उन्हें हमेशा ही समाज को ही आगे रखा है और प्रसादी में भी सभी को सह सम्मान आमंत्रित कराया जाता है और समाज को कुछ न कुछ अर्थ का लाभ भी होता था।
● समाज के हित के लिए संबंधित परिवार एक मजबूत स्तंभ की तरह काम किया है। संबंधित परिवार को इस तरह से हटाया जाना जैसे दूध से मक्खी को निकाल दिया जाता है यह किसी के भी मन को नहीं भाया जहां तक मेरा मत है।
● आप ने कहा है कि मेरे बारे में और कार्यकारिणी के बारे में भी सम्मानजनक बातें नहीं की गई है तो मान्य अध्यक्ष महोदय कोई भी व्यक्ति अगर सम्मानजनक बात नहीं करता है या नीतिगत फैसला नहीं करता है तो उसका विरोध तो अवश्य ही होगा, चाहे वह कोई भी हो आप श्री एक बार समाज के प्रमुख प्रमुख व्यक्तियों को जो मेंबर है, को भी बुला कर एक मीटिंग का आयोजन करके उनकी भी राय ले ली होती तो शायद यह स्थिति नहीं बनती।
● और आप श्री ने बोला है कि कुछ कार्यकारिणी के पदाधिकारी और सदस्य में सम्मिलित है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि समाज ने 21 लोगों को चुना इसीलिए ही जाता है कि सही का साथ दें और गलत का विरोध करें। अगर गलत का विरोध नहीं करेंगे तो कल साधारण सभा में जवाब भी देना पड़ेगा कार्यकारिणी सदस्य और पदाधिकारियों को आपने मौन धारण क्यों किया।
● और जहां तक आप अनुशासनात्मक की कार्रवाई का भी आपने बोला है तो जो आपके अधिकार क्षेत्र में है वह आप अवश्य विधि सम्मत करें।
● परिवार का सदस्य हो या समाज का सदस्य परिवार और समाज के मुखिया से बहुत कुछ सीखता है संस्कृति और संस्कार देना परिवार और समाज प्रमुख का भी प्रथम कर्तव्य मानता हूं।
● आप श्री द्वारा भी कहीं न कहीं कार्यकारिणी के वरिष्ठ जनों के साथ भी कभी अभद्र व्यवहार एवं अश्लील भाषा से व्यवहार किया होगा वक्त आने पर बताया जाएगा।
● श्रीमान जी जहां तक मान सम्मान की बात है वह बात प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होती है कि वह भी सभी का मान सम्मान करें और सभी को मान सम्मान दें और मान सम्मान प्राप्त करें मान सम्मान कभी मांगने से नहीं मिलता है मान सम्मान तो कमाया जाता है। मन में राग द्वेष की भावना रखते हुए और किसी के बहकावे में आकर ने लिए गए निर्णय हमेशा ही स्वयं के लिए और समाज के लिए घातक होते हैं।
अपने व्यक्तिगत निर्णय को जो समाज सुधार के लिए फायदे के ना हो एवं जिससे समाज को आर्थिक हानि होती है ऐसे फैसले जल्दबाजी में नहीं लेना चाहिए सर्वसम्मति से लेना चाहिए। तो व्यक्ति जो कुछ सीखता है वह अपनों से ही सीखता है मेरे द्वारा आप श्री के वीडियो के प्रतिउत्तर में दिए गए जवाब में किसी प्रकार की अतिशयोक्ति कोई हो तो नजरअंदाज करने का कष्ट करें।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Sunil Paliwal...✍️
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