इंदौर :
इस मामले में नगर संगठन अब पता कर रहा है कि किस-किस पार्षद ने गड़बड़ी की. वहीं कुछ पार्षदों का बचाव में कहना है कि वे बसें तो लेकर आए थे, लेकिन रास्ते में जाम के कारण बसें फंस गईं और पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया, जिस कारण भी महिलाएं आयोजन स्थल पर नहीं पहुंच पाईं. लेकिन यहां तर्क संगठन के आगे नहीं चलेगा क्योंकि संगठन ने भी पार्षदों के ऊपर नजर लगा रखी थी. इसलिए झूठ ज्यादा दिन नहीं चलेगा, क्योंकि चुनाव सर पर है.
मुख्यमंत्री द्वारा कल इंदौर से लाड़ली बहना योजना के मामले में कई घोषणाएं की गईं और दूसरी किस्त भी महिलाओं के खातों में डाली गई. सरकार के इस आयोजन को लेकर पिछले कई दिनों से तैयारी की जा रही थी और करीब 1 लाख महिलाओं को जुटाने का दावा किया जा रहा था. भीड़ इकट्ठा करने की जवाबदारी पार्षदों को दी गई थी, क्योंकि उनके माध्यम से ही योजना के फार्म भरवाकर लाभ दिलवाया गया था. भाजपा के नगर संगठन ने लगातार बैठकें लेकर पार्षदों के साथ-साथ विधायकों से भी कहा था कि महिलाओं की संख्या को लेकर चिंता करें.
भाजपा नेताओं को वार्ड स्तर पर प्रभारी बनाया था, जिन्हें यह देखना था कि जितनी बसें पार्षदों ने मांगी हैं, उनमें कितनी बसें जा रही हैं. हालांकि कार्यक्रम स्थल पर शहरी क्षेत्र से कम संख्या नजर आई, लेकिन रोड शो में विधान सभा दो के साथ देपालपुर और राऊ की विधानसभा से महिलाओं की संख्या ज्यादा नजर आई, जबकि राऊ की ओर से आने वाली बसों को नावदापंथ में रोकना पड़ा तो महिलाएं पैदल ही कार्यक्रम स्थल तक पहुंचीं. दावा किया जा रहा है कि 1 लाख महिलाओं का टारगेट पूरा हो गया था, लेकिन पीछे की ओर पड़ी खाली कुर्सियां बता रही थीं कि 25 से 30 हजार महिलाएं ही यहां पहुंचीं.
कई बसों में तो 5 से 20 महिलाएं ही पहुंच पाईं. सूत्रों के माध्यम से बताया जा रहा है कि हारे हुए पार्षदों ने रुचि नहीं ली तो कई पार्षद अपने कार्यालयों से निर्देश देते रहे, जिसके कारण महिलाएं घरों से नहीं निकल पाईं. हालांकि भाजपा संगठन इसे सफल कार्यक्रम मान रहा है, लेकिन समीक्षा करने की बात भी कह रहा है. वहीं नगर निगम इंदौर आयुक्त ने भी राहत की सांस लेते हुए निगम स्टाफ को सफल आयोजन पर बधाई दी.