इस्लामाबाद: पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में पंजाब प्रांत में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के 21 गिरिजाघरों पर एक साथ हमले हुए हैं। इन हमलों में ईसाई समुदाय के लोगों के घरों को भी निशाना बनाया गया है। हमलावरों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी कुछ नहीं कर सकें। अब इन हमलों के खिलाफ समेत पूरी दुनिया में बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पाकिस्तान सरकार बैकफुट पर है। पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने गुरुवार को उन सभी चर्चों और ईसाइयों के घरों को तीन से चार दिनों के भीतर सरकारी खर्च से मरम्मत कर फिर से बहाल करने की कसम खाई। वहीं, इस हिंसा को भड़ाकने के आरोप में प्रतिबंधित कट्टरपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और अहल-ए-सुन्नत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
ईसाई समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा इतनी जबरदस्त थी कि पंजाब सरकार को रेंजर्स को बुलाना पड़ा। वहीं, सबसे ज्यादा हिंसा प्रभावित फैसलाबाद के जरानवाला जिले 3000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने ईसाई बहुल इलाकों को घेरकर रखा हुआ है, ताकि दोबारा कट्टरपंथियों की भीड़ उन्हें निशाना न बना सके। इस इलाके में एक दिन पहले कट्टरपंथियों ने साल्वेशन आर्मी चर्च, यूनाइटेड प्रेस्बिटेरियन चर्च, एलाइड फाउंडेशन चर्च और शहरूनवाला चर्च में तोड़फोड़ की थी। इस दौरान चर्च और ईसाई समुदाय के घरों में मौजूद कीमती सामानों को लूट लिया गया था।
पुलिस और स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हिंसा तब भड़की जब कुछ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि जरनवाला में सिनेमा चौक पर एक घर के पास पवित्र कुरान के कई अपवित्र पन्ने पाए गए थे, जहां दो ईसाई भाई रहते थे। हमलावरों ने इन दोनों भाइयों को घर को गिरा दिया। स्थिति को देखते हुए, जिला प्रशासन ने सात दिनों के लिए धारा 144 लागू कर दी है, जिसमें सरकारी कार्यक्रमों को छोड़कर सभी प्रकार की सभा पर रोक लगा दी गई है। इस बीच, कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारुल हक ने पंजाब सरकार ने घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का आदेश दिया है।
बुधवार देर रात जारी एक बयान में, पंजाब पुलिस ने कहा कि उसने 100 से अधिक गिरफ्तारियां की हैं, जबकि जरनवाला पुलिस ने दो आतंकी मामलों में 600 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया है। आज एक बैठक को संबोधित करते हुए, जिसमें ईसाई समुदाय के धार्मिक नेताओं ने भाग लिया, मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी ने कल की हिंसा की निंदा की और कहा कि ऐसी घटनाएं इस्लाम विरोधी और पवित्र पैगंबर की शिक्षाओं के खिलाफ हैं।
पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा के लिए प्रतिबंधित कट्टरपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक ने उकसाया। यह समूह पहले से ही अपने कट्टरपंथी नीतियों और आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान ने ही दो साल पहले अपने मुखिया मौलाना साद की गिरफ्तारी के बाद पूरे देश को हिंसा की आग में जलाया था। तहरीक-ए-लब्बैक का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में शरिया कानून को लागू करना और गैर इस्लामिक देशों से संबंध तोड़ना है। इस समूह ने फ्रांस के खिलाफ भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया था।