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बेवक्त मौत का कारण है नींद की ये आदत

स्वास्थ्य Published by: paliwalwani Updated Mon, 10 Mar 2025 01:37 AM
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“सोना सोने समान होता है.” यहां सोना यानी वह कीमती धातु और सोना यानी नींद, जो अनमोल है. अगर सोना (धातु) खो जाए तो आर्थिक नुकसान होता है, लेकिन अगर नींद न आए तो सेहत का नुकसान, जो कहीं ज्यादा गंभीर है. विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना 8 घंटे की अच्छी नींद लेता है, तो वह कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकता है.

हाल ही में अमेरिका स्थित वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि कम नींद लेने से असमय मृत्यु का जोखिम 29तक बढ़ सकता है. इस शोध में यह स्पष्ट किया गया है कि वयस्कों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन 7 से 9 घंटे की नींद लेना आवश्यक है. नींद की कमी से डिमेंशिया, हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज़, मोटापा और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.

रिसर्च में हुआ खुलासा

यह अध्ययन जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुआ, जिसमें 40 से 79 वर्ष की आयु के लगभग 47,000 (कम आय वाले) वयस्कों की नींद की आदतों का विश्लेषण किया गया. प्रतिभागियों ने अपनी औसत नींद की अवधि 5 साल के अंतराल पर साझा की. इसमें सात से नौ घंटे तक की नींद लेने वाले को “स्वस्थ” माना गया, अगर यह सात घंटे से कम थी तो “कम” और अगर यह नौ घंटे से ज्यादा थी तो “लंबी” माना गया.

नींद के पैटर्न को नौ श्रेणियों में बांटा गया. इनमें से “कम-लंबी” से मतलब प्रतिभागी के पांच साल की अवधि के दौरान रात में नौ से ज्यादा घंटे सोने से पहले के दौर से था. उस दौरान वो सात घंटे से कम सोता था. लगभग 66प्रतिभागियों की नींद खराब थी – वे या तो सात घंटे से कम सोते थे या एक बार में नौ घंटे से ज़्यादा. सबसे आम नींद के पैटर्न “बेहद कम”, “शॉर्ट हेल्दी” और “हेल्दी शॉर्ट” थे. बेहद कम और हेल्दी शॉर्ट पैटर्न में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी.

नींद और मृत्यु दर के बीच संबंध...

इस अध्ययन में प्रतिभागियों का लगभग 12 वर्षों तक विश्लेषण किया गया. इस दौरान 13,500 से ज्यादा प्रतिभागियों की मृत्यु हुई, जिनमें 4,100 हृदय रोग से और 3,000 कैंसर पीड़ित पाए गए. पाया गया कि जिन लोगों की नींद की आदतें “शॉर्ट-लॉन्ग” या “लॉन्ग-शार्ट” होती हैं, उनमें जल्दी मृत्यु का जोखिम विशेष रूप से अधिक होता है.

आयुर्वेद में अच्छी नींद के उपाय...

हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में अच्छी नींद को लेकर कुछ उपाय सुझाए गए हैं. इनमें औषधियां, योग, आहार, और जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी गई है. आयुर्वेद पंचकर्म का भी परामर्श देता है, जिसमें शिरोबस्ती (सिर पर तेल बनाए रखना), शिरोभ्यंग (सिर की मालिश), शिरोपिच्छु (कान की नली में गर्म तेल लगाना) और पादाभ्यंग (पैरों की मालिश) शामिल हैं. इन सब उपायों को किसी जानकार चिकित्सक या आयुर्वेदाचार्य से समझ-बूझ कर ही अपनाना चाहिए, क्योंकि वो प्रकृति के लिहाज से ही उचित सलाह दे सकते हैं. तो अपनी नींद की क्वालिटी पर ध्यान दें. पर्याप्त और संतुलित नींद न केवल हमें स्वस्थ रखती है बल्कि जीवन को लंबा और बेहतर बनाती है.

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