नई दिल्ली. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि किसानों को मोदी सरकार को यह समझाने में एक साल लग गया कि उसके तीन कृषि कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं और अफसोस है कि इन कानूनों को वापस लेते समय भी इस सरकार ने किसानों को बांटने की कोशिश की.
यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, ‘उन्हें समझाने में हमें एक साल लग गया, हमने अपनी भाषा में अपनी बात कही, लेकिन दिल्ली में चमचमाती कोठियों में बैठने वालों की भाषा दूसरी थी. जो हमसे बात करने आए, उन्हें यह समझने में 12 महीने लग गये कि यह कानून किसानों, गरीबों और दुकानदारों के लिए नुकसान पहुंचाने वाले हैं.’
उन्होंने कहा, ”वह एक साल में समझ पाये कि ये कानून नुकसान पहुंचाने वाले हैं. फिर उन्होंने कानूनों को वापस लिया. उन्होंने कानूनों को वापस लेकर सही काम किया, लेकिन किसानों को यह कहकर विभाजित करने की कोशिश की कि वे कुछ लोगों को कानूनों को समझाने में विफल रहे. हम ‘कुछ लोग’ हैं?” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफीनामे का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम, माफी मांगने से नहीं बल्कि नीति बनाने से मिलेगा.
टिकैत ने इस दावे को भी गलत बताया कि एमएसपी के लिए एक समिति बनाई गई है. उन्होंने कहा कि यह झूठ है. उन्होंने कहा, ‘2011 में, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह मुख्यमंत्रियों की उस वित्तीय समिति के प्रमुख थे, जिससे भारत सरकार ने पूछा था कि एमएसपी के बारे में क्या किया जाना है? समिति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को सुझाव दिया था कि एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून की जरूरत है. इस समिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय में पड़ी है. किसी नयी समिति की जरूरत नहीं है और न ही देश के पास इतना ज्यादा समय है.”
टिकैत ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को देश के के सामने स्पष्ट जवाब देना होगा कि क्या वह उस समिति के सुझाव को स्वीकार करेंगे जिसका वह हिस्सा थे.’ मोदी सरकार की हालिया घोषणा पर उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा किसानों ने नहीं, बल्कि सरकार ने की है और किसानों के सामने कई मुद्दे हैं. उन्होंने मोदी सरकार से कहा कि वह किसानों से उनके मुद्दों पर बात करे, हम दूर नहीं जा रहे हैं. पूरे देश में बैठकें होंगी और हम लोगों को आपके काम के बारे में बताएंगे.