रिपोर्ट: रविंद्र आर्य
नई दिल्ली. ग़ाज़ियाबाद
संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच, नई दिल्ली के तत्वावधान में 23 नवंबर 2025, रविवार को भारत मंडपम ऑडिटोरियम में आयोजित 12वां राष्ट्रीय अधिवेशन एवं हिंदू रत्न अवार्ड सम्मान समारोह अद्वितीय गरिमा और भव्यता के साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूजी सुशील कुमार सरावगी जिंदल ने किया, जिनकी उपस्थिति में राष्ट्रचिंतन, सांस्कृतिक गौरव और भारत की वैश्विक भूमिका पर महत्वपूर्ण विमर्श हुआ।
गाज़ियाबाद के यशस्वी वीर चक्र से साम्मानित सेनाधिकारी कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी को उनके राष्ट्रीय योगदान, सामाजिक चेतना और राष्ट्रवादी विचारधारा के लिए ‘हिंदू रत्न’ सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति का गौरव है, बल्कि भारत के सैन्य परंपरा, त्याग और नागरिक जिम्मेदारी का प्रतीक है।
“पीओके, बलूचिस्तान और बांग्लादेश हिंदुओं की रक्षा—अब विश्व मंच पर निर्णायक आवाज़ उठाने का समय” सम्मान प्राप्त करते हुए कर्नल त्यागी ने अपने संबोधन में भारत की वैश्विक भूमिका और विदेशी नीति पर अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु उठाए। उन्होंने कहा—
“अब समय आ गया है कि विश्व मंच पर पाकिस्तान के अवैध कब्ज़े से पीओके को मुक्त कराने, बलूच जनता के मानवाधिकारों की रक्षा, तथा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए स्पष्ट और कड़े कदम उठाए जाएँ।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विश्व समुदाय में भारत की आवाज़ अब निर्णायक हो चुकी है, और अन्याय के मुद्दों पर भारत की निष्पक्ष व प्रखर भूमिका अत्यंत आवश्यक है। रूस–इज़राइल भारत के विश्वसनीय सहयोगी, तुर्की–पाकिस्तान को दिया जाए स्पष्ट संदेश
कर्नल त्यागी ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर बोलते हुए भारत के हितों की स्पष्ट रक्षा का आह्वान किया। उन्होंने कहा-“भारत को हमेशा रूस और इज़राइल जैसे मित्र देशों के साथ खड़ा रहना चाहिए। वहीं तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की भारत-विरोधी नीतियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सशक्त और स्पष्ट संदेश देना अनिवार्य है।”
उनके विचारों में भारत की विदेश नीति के लिए आत्मविश्वास, दृढ़ता और राष्ट्रहित सर्वोपरि रखने का स्वर प्रमुख दिखाई दिया। “यह सम्मान मैं गौरव सेनानियों और देशभक्त नागरिकों को समर्पित करता हूँ”, अपने धन्यवाद वक्तव्य में कर्नल त्यागी भावुक हो उठे।
उन्होंने कहा “यह सम्मान मैं अकेला नहीं स्वीकार करता। यह उन सभी गौरवशाली सेनानियों और देशभक्त नागरिकों का है जो हर परिस्थिति में राष्ट्रधर्म निभाते हैं। मैं यह पुरस्कार उन्हें समर्पित करता हूँ।” उनके इस वक्तव्य ने सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों को अभिभूत कर दिया।
भारत मंडपम में आयोजित यह भव्य समारोह भारत की सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्रवादी दृष्टि और संवैधानिक राष्ट्रवाद के आदर्शों के पुनर्स्मरण का सुंदर क्षण रहा। कर्नल त्यागी को मिला ‘हिंदू रत्न’ सम्मान इस बात का संदेश है कि राष्ट्रसेवा, सत्य और साहस को भारत सदैव सर्वोच्च मान देता है।
लेखक : रविंद्र आर्य