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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाला प्रस्ताव अगले हफ्ते होगा लोकसभा में पेश : महिला सांसदों ने किया स्वागत

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Fri, 17 Dec 2021 03:53 PM
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लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने वाला प्रस्ताव अगले हफ्ते होगा लोकसभा में पेश : महिला सांसदों ने किया स्वागत
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने लड़कियों के शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र को बढ़ाकर पुरुषों के बराबर करने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि पहले लड़कियों के शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 21 साल किया जा सकता है. कैबिनेट ने बुधवार को लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.

वहीं केंद्र सरकार ने अब ऐलान किया है कि अगले हफ्ते ही इससे जुड़े बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा. इसके अलावा चुनाव सुधारों से जुड़े बिल को भी अगले हफ्ते ही पेश किया जाएगा. केंद्र सरकार ने कहा कि वह अगले हफ्ते इन दोनों बिलों को पारित भी करवाना चाहती है. वहीं संसदीय कार्य मंत्री बी मुरलीधर ने राज्यसभा में भी जानकारी दी है कि अगले हफ्ते इस बिल को लाया जाएगा.  लड़कियों की शादी की उम्र बढाने से जुड़े बिल का नाम  'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' (The ‘Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) होगा. इसके ज़रिए बाल विवाह अधिनियम, 2006 (Child Marriage Act, 2006) में बदलाव किया जाएगा. बिल के ज़रिए भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 (Indian Christian Marriage Act, 1872), पारसी विवाह और तलाक अधिनियम, 1936, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937, विशेष विवाह अधिनियम, 1954, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, विदेशी विवाह अधिनियम, 1969  में भी बदलाव किए जाएंगे.

लड़कों-लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र में खत्म होना चाहिए फर्क

सेंटर फॉर लॉ ऐंड पॉलिसी रिसर्च' और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट जायना कोठारी का कहना है कि लड़कियों और लड़कों की शादी की न्यूनतम उम्र में फर्क नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, कई मानवाधिकार संगठन और बाल अधिकार कार्यकर्ता ये मांग करते रहे हैं कि लड़के और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र एक ही होनी चाहिए. भारत के कई पुराने कानून इस धारणा के तहत बनाए गए थे कि लड़कियां लड़कों से पहले परिपक्व हो जाती हैं इसलिए उनकी शादी की न्यूनतम उम्र में भी फर्क रखा जाना चाहिए. हालांकि, साल 2008 की लॉ कमीशन रिपोर्ट में ये सुझाव दिया गया था कि लड़कों और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उंम्र एक समान होनी चाहिए. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी साल 2018 में यही सुझाव दिया था. इंडियन मेजॉरिटी ऐक्ट 1875, 18 साल की उम्र होने पर मतदान और किसी भी तरह के अनुबंध में शामिल होने का अधिकार देता है और महिला-पुरुष दोनों के लिए ही ये उम्र समान है. जायना कोठारी कहती हैं, शादी के लिए फिलहाल जो न्यूनतम उम्र है, उसके बावजूद बाल विवाह रोकना संभव नहीं हुआ है. इसलिए बाल विवाह रोकने के मकसद से लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने का कोई मतलब नहीं है. अगर सरकार चाहती है कि लड़कियां कम उम्र में गर्भवती ना हों और इसका असर उनकी सेहत पर ना पड़े तो इसके लिए दूसरे तरीके अपनाए जाने चाहिए.

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