नई दिल्ली : सरकारी कामकाज में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहली बार देश के किसी चिकित्सीय संस्थान में प्रोत्साहन योजना को लागू किया है. नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने फैसला लिया है कि हिंदी भाषा लिखवाने पर हर साल वरिष्ठ डॉक्टरों को पुरस्कार किया जाएगा. इसके लिए साल में कम से कम 10 हजार शब्द लिखने पर एम्स प्रबंधन 25 हजार रुपये का पुरस्कार डॉक्टर को देगा. प्रबंधन ने एक ही श्रेणी में पांच पुरस्कार देने का निर्णय लिया है जिसकी राशि 10 से 25 हजार रुपये तक है.
जानकारी के अनुसार सरकारी कामकाज में हिंदी भाषा को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग लंबे समय से काम कर रहे हैं. दिल्ली एम्स भी इसमें शामिल है लेकिन पहली बार अपने कर्मचारियों में हिंदी के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्थान ने प्रोत्साहन योजना को शुरू किया है. एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इससे पहले देश के किसी अन्य चिकित्सीय संस्थान में इस तरह की योजना लागू नहीं हुई है. हालांकि दिल्ली की तरह देश के बाकी एम्स में भी हिंदी को आगे रखने के लिए ऐसी योजना शुरू की जा सकती है.
उन्होंने बताया कि अक्सर ऑफिस के कामकाज में संकाय सदस्यों को टिप्पिणयां करनी पड़ती हैं। हिंदी या फिर अंग्रेजी किसी भी भाषा में तैयार फाइल पर एक डॉक्टर अंग्रेजी में ही टिप्पणी लिखता है। इन्हीं डॉक्टरों को प्रोत्साहन योजना से जोड़ने का निर्णय लिया है ताकि ये लोग भी टिप्पणियां हिंदी भाषा में लिख सकें। उन्होंने बताया कि इस साल एक अप्रैल से 31 मार्च 2023 तक यह योजना लागू रहेगी जिसके तहत गैर हिंदी भाषी राज्यों के डॉक्टर भी सहभागिता कर सकते हैं।