नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर के आतंकी यासिन मलिक को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश किया गया था। उसे कोर्ट परिसर में देखकर सुप्रीम कोर्ट के जज दंग रह गए थे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में मलिक की मौजूदगी पर आपत्ति जताई और कहा कि अदालत द्वारा ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था कि यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए, यह सुरक्षा के लिए एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने यासीन मलिक को अनुमति देने के लिए अदालत में मौजूद जेल अधिकारियों के प्रति असहमति व्यक्त की और पीठ को बताया कि मलिक को जेल से बाहर नहीं लाया जा सकता क्योंकि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 268 उस पर लागू होती है। अब इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने बड़ा एक्शन लिया है।
तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के कमांडर यासीन मलिक के व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश करने के मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। जेल प्रशासन की तरफ से सुरक्षा में चूक मामले में चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
सस्पेंड किए गए अधिकारियों में 1 डिप्टी सुपिरटेंडेंट, 2 असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट और 1 अन्य अधिकारी शामिल हैं। इससे पहले यासीन मलिक के शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से सनसनी मच गई थी। इस मामले को लेकर तिहाड़ जेल प्रशासन की काफी आलोचना होने लगी थी। दिल्ली कारागार विभाग ने शुक्रवार को इसे 'पहली नजर में कुछ अधिकारियों की लापरवाही' का मामला बताया था।
मालूम हो कि यासीन मलिक आतंकी फंडिग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। वह कोर्ट में अपने खिलाफ अपहरण और हत्या के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील के लिए पेश हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के जज शुक्रवार को उस समय यह देखकर दंग रह गए जब उन्होंने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के कमांडर यासीन मलिक को व्यक्तिगत रूप से सामने मौजूद पाया।
यासीन मलिक कोर्ट में अपने खिलाफ अपहरण और हत्या के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील के लिए पेश हुआ था। जस्टिस दीपांकर दत्ता और सूर्यकांत की पीठ ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और इसे चार सप्ताह (एक महीने) के लिए टाल दिया। जाहिर तौर पर, मलिक ने जेल अधिकारियों को बताया था कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होना चाहता है।
यासीन मलिक पर जम्मू की विशेष अदालत ने चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण के दो मामलों में गवाहों से पूछताछ के लिए मलिक की उपस्थिति की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में इस मामले में नोटिस जारी किया था और मलिक की व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश देने वाले आदेशों पर रोक लगा दी थी।