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न्यायालय अपडेट : न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय, बलात्‍कारी को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई

अपराध Published by: paliwalwani.com Updated Mon, 15 Mar 2021 03:00 AM
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‌रतलाम । (पालीवाल वाणी के लिए रतलाम से जगदीश राठौर की रिपोर्ट) रतलाम न्‍यायालय विशेष न्‍यायाधीश तरुणसिंह (लैंगिक अपराधो से बालकों का सरंक्षण अधिनियम,2012) रतलाम ने आरोपी विक्रम पिता नारजी डामोर उम्र 25 वर्ष सोमारूण्‍डी कलां थाना सरवन जिला रतलाम को बलात्कार के आरोप में दोषी पाकर 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक पॉक्‍सो एक्‍ट, गौतम परमार ने बताया कि दिनांक 04.02.2017 को अवयस्‍क पीडिता अपने बड़े पापा के लडके की शादी में आई थी और रात करीब 3 बजे वह अकेली अपने घर वापस जा रही थी इसी दौरान रास्ते में आरोपी विक्रम ने उसे पकड लिया और डरा धमकाकर बोला कि यदि चिल्लायी तो जान से खत्म कर दूंगा और उसे खींच कर पास के खेत में ले जाकर उसके साथ जबरन बलात्कार किया। बलात्कार करने के उपरांत आरोपी ने पीडिता को धमकी दी कि यह बात किसी को बताई तो उसे और उसके परिवारवालो को जान से खत्म देगा। आरोपी के वहां से जाने के बाद पीड़िता अपने घर वापस आ गई। आरोपी द्वारा दी गई धमकी के कारण उसने अपने साथ हुई घटना किसी को नही बताई। उक्त घटना के लगभग 3-4 माह बाद पीडिता को मालूम पडा कि वह गर्भवती है परंतु समाज में बदनामी के डर से उसने उसके साथ हुई घटना व गर्भवती होने बारे में किसी को नही बताया। दिनांक 04.10.2017 को रात में लगभग 10 बजे उसके पेट में दर्द होने पर उसने अपनी माँ को बताया कि उसके पेट में गठान है इसलिए उसे दर्द हो रहा है तब उसके माता-पिता मोटर सायकिल पर बैठाकर उसे सरकारी अस्पताल सैलाना ले गए जो वहां से रात्रि में ही उसे एबुलेंस से अग्रिम ईलाज हेतु शासकीय अस्पताल रतलाम रवाना किया। इस दौरान बीच रास्ते में ही पीडिता ने शिशु को जन्म दिया। माता-पिता के कहने पर ऐंबुलेस वाले ने रास्‍ते से ही वापस उन्‍हें उनके गांव छोड दिया। घर पर पीडिता से माता-पिता के पुछने पर उसने आरोपी विक्रम द्वारा बलात्‍संग किये जाने वाली जानकारी दी। सुबह जल्‍दी उठ कर पीडिता ने समाज में बदनामी के डर से अपने नवजात शिशु को गांव में ही स्थित खेत के किनारे पर बनी पत्‍थरों की पाल में छिपा दिया परंतु गांव वालो को मालूम पढने पर उन्‍होने थाने पर सूचना दी तब पुलिस द्वारा शिशु को बरामद कर ईलाज के लिए हॉस्पिटल ले गई तथा पीडिता के इस कृत्‍य के लिए उसके विरूद्ध थाने पर प्रकरण दर्ज किया गया। दिनांक 10.10.2017 को पीडिता द्वारा अपने साथ अभियुक्‍त विक्रम द्वारा की गई घटना पुलिस को बताई जिस पर से पुलिस थाना सरवन पर अभियुक्‍त विक्रम डामोर के विरूद्ध अपराध क्र. 207/2017 पर प्रकरण पंजीबद्ध पर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान पीडिता का मेडिकल करवाया जाकर मेडिकल साक्ष्‍य तथा पीडिता के उम्र संबंधी दस्‍तावेजी साक्ष्‍य एवं पीडिता की प्रसूति संबंधी साक्ष्‍य संकलित किए तथा अभियुक्‍त विक्रम को दिनांक 12.10.2017 का गिरफ्तार किया जाकर उक्‍त दिनांक को अभियुक्‍त का मेडिकल करवाकर मेडिकल साक्ष्‍य तथा पीडिता एवं उसके माता-पिता व अन्‍य साक्षीगणों के कथन लिये गये। विवचेना में आवश्‍यक साक्ष्‍य संकलित की जाकर दिनांक 25.10.2017 को अभियोग पत्र आरोपी विक्रम के विरूद्ध धारा 376(2)(आई) 506 भादवि तथा 5जे(2)) 5एल/6 पॉक्‍सो एक्‍ट में तैयार कर दिनांक 27.10.2017 को माननीय विशेष न्‍यायालय में पेश किया गया। विचारण के दौरान पीडिता सहित महत्‍वपूर्ण साक्षी उसके माता-पिता ने घटना का समर्थन नही किया और पक्षद्रोही हो गये परंतु पीडिता की उम्र के संबंधी साक्ष्‍य से उसका अवयस्‍क प्रमाणित होना तथा अपराध के संबंध मे उसकी सहमति का महत्‍वहीन हो जाना एवं मेडिकली वैज्ञानिक साक्ष्‍य जिसमें डीएनए जांच रिपोर्ट से अभियुक्‍त विक्रम का पीडिता से जन्‍मे नवजात शिशु का पिता होना प्रमाणित होने के आधार पर मामला सिद्ध पाते हुए माननीय विचारण न्‍यायालय द्वारा अभियुक्‍त विक्रम पिता नारजी डामोर को दोषसिद्ध पाते हुये धारा 376 भादवि में 7 वर्ष का कठोर कारावास व 5000/- रूपये अर्थदण्‍ड एवं धारा 5(जे प्प्)/6 पॉक्‍सो अधिनियम में 10 वर्ष का कठोर कारावास व 5000/- रूपये अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। प्रकरण को राज्‍य शासन द्वारा जघन्‍य एवं सनसनीखेज श्रेणी में चिन्हित किया गया था जिसकी सतत् निगरानी एवं पर्यवेक्षण पुलिस अधीक्षक  गौरव तिवारी द्वारा की जा रही थी। प्रकरण में शासन की ओर से सफल पैरवी डीडीपी, सुशील कुमार जैन अनिल कुमार बादल एवं विशेष लोक अभियोजक पास्को एक्ट श्रीमती गौतम परमार रतलाम ने की।

● पालीवाल वाणी ब्यूरो-...✍️

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