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जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि

छत्तीसगढ़ Published by: paliwalwani Updated Sun, 18 Feb 2024 11:42 AM
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छत्तीसगढ़ :

दिगंबर जैन के संत शिरोमणि आचार्य प्रवर विद्यासागर महामुनिराज 17 फरवरी 2024 यानी शनिवार की रात 2 बजकर 35 मिनट पर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी पर्वत में अंतिम सांस ली.  पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए. आचार्य श्री के शरीर त्यागने की खबर से सकल जैन समाज में शोक की लहर है. जैन समाज के लोगों का छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ पर जुटना शुरू हुआ.

दरअसल, आचार्य विद्यासागर महाराज ने विधिवत सल्लेखना धारण कर ली थी. पूर्ण जागृत अवस्था में ही उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन से उपवास और अखंड मौन धारण कर लिया था. विद्यासागर महाराज जैन समाज के प्रमुख संत थे. कुछ महीने पूर्व विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोंगरगढ़ पहुंचकर जैन मुनि विद्यासागर  महाराज से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया था. 

जैन धर्म के प्रमुख आचार्यों में से एक आचार्य विद्यासागर महाराज पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे. डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में उन्होंने अंतिम सांसें ली. जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज देवलोक गमन से पहले अन्य संतों से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली थी. इसके साथ ही उन्होंने आचार्य का पद भी त्याग दिया था. महाराज का डोला राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ स्थल पर रविवार को दोपहर 1.00 बजे पंचतत्व में विलीन किया जाएगा. इस दौरान बड़ी संख्या में जैन संत और गणमान्य नागरिक मौजूद  रहेंगे.

जानिए कौन है आचार्य विद्यासागर महाराज

जैन संत संप्रदाय में सबसे ज्यादा विख्यात संत विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. उनके पिता का नाम मल्लप्पा था, जो बाद में मुनि मल्लिसागर बने. उनकी माता का नाम श्रीमंती था, जो बाद में आर्यिका समयमति बन गई थी. 22 नवम्बर 1972 में ज्ञानसागर को आचार्य का पद दिया गया था. उनके भाई महावीर, अनंतनाथ और शांतिनाथ ने आचार्य विद्यासागर से दीक्षा ग्रहण की और मुनि योग सागर और मुनि समय सागर, मुनि उत्कृष्ट सागर कहलाए.

इन भाषाओं में थी महारत

आचार्य विद्यासागर संस्कृत, प्राकृत सहित विभिन्न आधुनिक भाषाओं जैसे हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में विशेषज्ञ स्तर का ज्ञान रखते थे. उन्होंने हिन्दी और संस्कृत के विशाल मात्रा में रचनाएं भी की हैं. सौ से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है. उनके कार्य में निरंजना शतक, भावना शतक, परीषह जाया शतक, सुनीति शतक और शरमाना शतक शामिल हैं. उन्होंने काव्य मूक माटी की भी रचना की है. विभिन्न संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है. आचार्य विद्यासागर  कई धार्मिक कार्यों में प्रेरणास्रोत रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री की समाधि पर भावपूर्ण विनयांजली 

जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने समाधि ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री की समाधि पर भावपूर्ण विनयांजली दी. पीएम मोदी ने अपनी X पोस्ट में लिखा- मेरे विचार और प्रार्थनाएं आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के अनगिनत भक्तों के साथ हैं. आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी. विशेषकर लोगों में आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी. मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ. मैं पिछले साल के अंत में डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता. उस समय मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया था.

My thoughts and prayers are with the countless devotees of Acharya Shri 108 Vidhyasagar Ji Maharaj Ji. He will be remembered by the coming generations for his invaluable contributions to society, especially his efforts towards spiritual awakening among people, his work towards… pic.twitter.com/jiMMYhxE9r

— Narendra Modi (@narendramodi) February 18, 2024

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