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Mangal Gochar : होने वाला है बड़ा बदलाव, इन लोगों का पलट सकता है भाग्य

ज्योतिषी Published by: Paliwalwani Updated Wed, 23 Feb 2022 10:17 PM
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 नवग्रहों में सबसे खास माना जाने वाले और इस साल के राजा—मंत्री भूमि पुत्र मंगल करीब डेढ़ साल यानि 545 दिन बाद उच्च के होने जा रहे हैं। जी हां अभी तक धनु राशि में चले रहे मंगल अपनी उच्च राशि मकर में प्रवेश करने जा रहे हैं। जी हां 26 फरवरी को मंगल मकर में प्रवेश करने जा रहे हैं। मंगल का यह राशि परिवर्तन मेष और वृश्चिक के जातकों को खास लाभ दिलाने वाले हैं

इन क्षेत्रों में मिलेगा विशेष लाभ —

ज्योतिष के अनुसार जिन जातकों की राशि मेष और वृश्चिक है, उन्हें इस दौरान भूमि—भवन के क्षेत्रों में विशेष लाभ दिलाएगा। इसके अलावा कोर्ट कचहरी के मामले भी सुलझेंगे। नौकरी पेशा लोगों के प्रमोशन के प्रबल योग बनते दिख रहे हैं। इन्हें हर क्षेत्र में तरक्की मिलेगी। इसके अलावा जिन जातकों की राशि 10 अंक की यानि मकर राशि है, उन्हें इस गोचर काल में जबरजस्त लाभ मिलने वाला है। बाकी राशियों के लिए ये सामान्य फल देगा। कुल मिलाकर मंगल का यह राशि परिवर्तन सभी के लिए अच्छा फल देगा। चूंकि मंगल भूमि पुत्र हैं इसलिए इस दौरान किसानों को भी जबरजस्त लाभ होगा।

रक्त तत्व प्रधान हैं मंगल —

मंगल पुरुष ग्रह माना गया है। यह मेष राशि और वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। भ्रमण काल के दौरान जब मंगल मकर राशि में आता है। उच्च का कहा जाता है। जब कर्क राशि में आता है। तो नीच का कहा जाता है। मेष राशि 1 से 18 वर्ष तक यह मूल त्रिकोण में माना जाता है। मंगल को पापी ग्रह कहते हैं। साथ ही इसे पराक्रम का प्रतीक भी मानते हैं। इसे रक्तगौर रंग का माना जाता है। इसमें अग्नि तत्व की प्रधानता होती है।

पित्त और हड्डियों के लिए कारक —

शरीर में पित्त और हड्डियों के मज्जा का विश्लेषण मंगल ग्रह से किया जाता है। मंगल तत्व प्रधान जातक अधिकतर नेता, प्रखर वार्ताकार, तर्क से सब को परास्त करने वाले और सेनापति होते हैं। मंगल ग्रह के प्रभाव से लोगों को उच्च पद सेना या पुलिस में प्रवेश आदि व्यवसाय प्राप्त होते हैं।

ऐसे देखें कुंडली में मंगल का भाव —

अगर आपकी कुंडली में मंगल 10 वें भाव यानि मकर राशि में हैं तो समझ लीजिए मंगल आपकी राशि में उच्च के हैं। तो वहीं यदि ये चौथे भाव यानि कर्क राशि में हैं तो समझ लीजिए ये आपकी राशि में नीच ग्रह में बैठे हैं। जब यह नीच भाव में बैठते हैं तो आपको विशेष सतर्क रहने की जरूरत होती है। इसके अलावा जब ये पहले या आठवें भाव यानि मेष और वृश्चिक में हैं तो ये स्वराशि में माने जाते हैं। 

 

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