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सीकर के अजीतगढ़ में फिर पिटी पुलिस, दो थाना अधिकारियों के सिर फूटे : भाजपा सरकार की जग हंसाई

आपकी कलम Published by: S.P.MITTAL BLOGGER Updated Thu, 03 Apr 2025 04:11 PM
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1 अप्रैल 2025 की रात को राजस्थान के सीकर जिले के अजीतगढ़ क्षेत्र में जब एक बदमाश महिपाल को पकडऩे के लिए पुलिस दल मौके पर पहुंचा तो ग्रामीणों ने पुलिस दल को बंधक बना लिया। पुलिस को बंधक बनाए जाने की सूचना जब अजीतगढ़ थानाधिकारी मुकेश सेपट को मिली तो वे दलबल के साथ मौके पर पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों ने थानाधिकारी वाले दल को भी बंधक बना लिया।

इसके बाद निकटवर्ती खंडेला के थानाधिकारी इंद्रजीत यादव अपने दल के साथ पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें भी बंधक बना लिया। यानी एक के बाद एक तीन पुलिस दलों को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में ले लिया। इस घटना की जानकारी जब जिला मुख्यालय को मिली तो अतिरिक्त पुलिस बल के साथ कुछ अधिकारी पहुंचे। तब ग्रामीणों और पुलिस के बीच जो संघर्ष हुआ उस में 12 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।

थानाधिकारी मुकेश सेपट और इंद्रजीत यादव के सिर फूट गए। हर पुलिस थाने के बाहर लिखा होता है कि आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय, लेकिन सीकर में देखा गया कि पुलिस में अपराधियों का भय है। इससे पहले भी पुलिस की पिटाई होने के मामले प्रकाश में आए है। भले ही पुलिसकर्मियों की पिटाई होती हो, लेकिन जग हंसाई सरकार की होती है। पुलिस पिटाई के जितने भी मामले हुए उन सब में थाना अधिकारियों की नासमझी उजागर हुई है।

अजीतगढ़ के मामले में भी बदमाश महिपाल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस एक शादी समारोह में पहुंची। पुलिस में इतनी तो समझ होनी ही चाहिए कि गांव के शादी समारोह में ग्रामीणों की भीड़ होती है। यदि कोई अपराधी शादी समारोह में मौजूद है तो फिर पुलिस को अक्लमंदी के साथ गिरफ्तारी का काम करना चाहिए।

पुलिस के लिए यह भी शर्मनाक बात है कि एक दल के बंधक बनाए जाने के बाद दो और थानाधिकारी ग्रामीणों के कब्जे में आ गए। पहले दल के बंधक बनाए जाने के बाद ही सीकर पुलिस में खलबली मच जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सीकर पुलिस के बड़े अधिकारी मस्ती के साथ सो रहे थे।

यदि बड़े पुलिस अधिकारियों का सूचना तंत्र मजबूत होता तो दो थाना अधिकारियों के सिर नहीं फूटते। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जिनके पास गृह विभाग भी है, वे माने या नहीं, लेकिन पुलिस अधिकारियों की नासमझी और लापरवाही की वजह से पुलिस की पिटाई हो रही है। पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह फेल है।

इसका सबूत गत होती पर्व पर 14 मार्च को 65 हजार पुलिस जवानों को एक साथ होली पर्व का बहिष्कार करना है। प्रदेश भर के 65 हजार पुलिस जवान बहिष्कार कर रहे है, इसकी भनक पुलिस अधीक्षकों, रेंज आईजी और राज्य के डीजीपी तक को नहीं लगी।

S.P.MITTAL BLOGGER 

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