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मध्यप्रदेश सरकार पर चार लाख करोड़ का कर्ज : क्या प्रदेश की जनता को कर्ज में डुबोने की योजना में है, भाजपा सरकार...?

आपकी कलम Published by: विजया पाठक Updated Thu, 29 Aug 2024 08:53 PM
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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का तंज- ''कर्ज़ लो और घी पियो'' के सिद्धांत पर चल रही है मोहन सरकार

कांग्रेस की ओर से अकेले योद्धा बनकर कमलनाथ ने मोहन सरकार को घेरा

कमलनाथ ने जताई दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों पर चिंता

विजया पाठक : एडिटर, जगत विजन

एक कहावत है आदमी को केवल उतना ही पैर पसारना चाहिए जितनी लंबी चादर हो। लेकिन मध्यप्रदेश के परिप्रेक्ष्य में यह बात बिल्कुल उलट साबित हो रही है। दरअसल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश के विकास को लेकर लगातार कार्य तो कर रहे हैं, लेकिन विकास का यह कार्य वे उधार लिये हुए पैसों से कर रहे हैं।

सोचने वाली बात यह है कि आखिर मध्यप्रदेश के सिर से कर्ज का यह बोझ कब समाप्त होगा। पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 18 सालों तक 04 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज प्रदेश पर छोड़़ा है। वहीं, अब मोहन सरकार लगातार कर्ज लेकर प्रदेश के विकास की इबारत लिखने की तैयारी में है।

अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब आरबीआई और विश्व बैंक प्रदेश की जनता से इन करोड़ों रुपये के उधार का कर्ज वसूल करने के लिये आतुर हो जायेगा। इसके साथ ही पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश में दलितों पर हो रहे अत्‍याचारों पर भी काफी चिंता व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने कटनी जीआरपी थाने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि दलित समाज प्रदेश में असुरक्षित है और उन पर काफी अत्‍याचार हो रहे हैं।

05 हजार करोड़ के लोन की है तैयारी...!

मध्यप्रदेश में चल रही योजनाओं पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है। राज्य सरकार वित्तीय जरूरतें पूरा करने के लिए लगातार बाजार से कर्ज उठा रही है। सरकार एक बार फिर 05 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है। सरकार यह कर्ज दो किश्तों ढाई-ढाई हजार करोड़ के रूप में ले रही है। इसके पहले भी सरकार इसी माह 05 हजार करोड़ का लोन ले चुकी है।

प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2024 की स्थिति में 03 लाख 75 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है। वित्तीय संकट को देखते हुए वित्त विभाग ने 33 विभागों की 73 योजनाओं पर पाबंदी लगाई है। यानी विभागों को इन योजनाओं पर पैसे खर्च करने के पहले वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। हालांकि वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राशि निकालने से पहले वित्त की मंजूरी का मतलब यह नहीं है कि योजनाएं बंद हो गई हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री को घेरा

भाजपा शासन के समय सबसे ज्यादा कर्ज लेने की बात से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ खासे नाराज हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। यह कर्ज दो बार में ढाई-ढाई हजार करोड़ रुपए के रूप में लिया जाएगा।

कर्जखोरी को लेकर कमलनाथ ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। कमलनाथ ने कहा कि 'मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार कर्ज़ लो और घी पियो के सिद्धांत पर चल रही है। सरकार एक बार फिर से पाँच हज़ार करोड़ का कर्ज़ लेने जा रही है। प्रदेश पर पहले से ही 3.8 लाख करोड़ का कर्ज़ है।

कमलनाथ ने कहा 'प्रदेश को कर्ज़ के दलदल में डुबाने वाली भाजपा सरकार के मुंह से आज तक यह नहीं सुना कि अगर प्रदेश के ऊपर कर्ज़ बढ़ रहा है तो सरकार फ़िज़ूल ख़र्च में कमी करने के लिए कोई क़दम उठाने जा रही है। लगातार कर्ज़ लेने के बावजूद न तो प्रदेश में निवेश बढ़ा है, न रोज़गार बढ़ा है, न नौकरी बढ़ी है, न ही गेहूं और धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है और न ही लाड़ली बहनों को तीन हज़ार रुपये प्रति महीने दिए जा रहे हैं।

प्रदेश दिवालियेपन की कगार पर न पहुंच जाये

कमलनाथ ने लिखा है कि जब समाज के किसी वर्ग के कल्याण में यह पैसा ख़र्च नहीं हो रहा तो ज़ाहिर है, यह सारा कर्ज़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और सत्ता और संगठन मिलकर पैसे की बंदरबांट कर रहे हैं। अगर मोहन यादव सरकार इसी तरह कर्ज़ लेती रही तो प्रदेश दिवालियेपन की कगार पर पहुँच जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री यादव से कहा कि उन्हें अपनी वित्तीय नीतियों के बारे में फिर से सोचना चाहिए और इस तरह के क़दम उठाने चाहिए जिससे प्रदेश कर्ज़ के दलदल से बाहर आ सके।

06 अगस्त को लिया था पांच हजार करोड़ का कर्ज

उल्लेखनीय है कि इससे पहले, छह अगस्त को मोहन सरकार ने पांच हजार करोड़ का कर्ज लिया था। इसके बाद लाड़ली बहना योजना के लाभार्थियों को राखी के लिए 250 रुपए और 1250 रुपए की मासिक किश्त, कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के बकाया एरियर्स की राशि का भुगतान किया गया है।

छह अगस्त को लिए गए कर्ज में 11 साल और 21 साल की अवधि में ब्याज का भुगतान करना तय किया गया है। राज्य सरकार औसतन हर महीने 2000 करोड़ का कर्ज ले रही है। इस महीने तो ये दस हजार करोड़ तक पहुंच गया है। मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले ही चिंताजनक है अब एक और नया कर्ज, एमपी सरकार के वित्तीय संकट के दलदल में फंसने का इशारा कर रहा है।

कमलनाथ की चेतावनी, कब रूकेगा दलितों पर अत्‍याचार

पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कटनी जीआरपी थाना प्रभारी के आफिस में नाबालिग बच्‍चे और उसकी दादी के साथ हुई मारपीट का वीडियो एक्‍स पर अपलोड किया है। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा है कि जीआरपी थाने में हुई मारपीट बताती है कि मध्‍यप्रदेश में दलितों पर अत्‍याचार दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार दलितों के साथ बड़े ही बेरहमी से पेश आ रही है। प्रदेश के दलित अत्‍याचारों से परेशान हैं।

कैग भी जता चुका है राजकोषीय घाटे पर चिंता

हाल ही में कैग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, नुकसान उठा रहे उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा कर उनमें सुधार की रणनीति बनाई जाना चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक बजट के बीच के अंतर को काम किया जा सके।

इन योजनाओं पर लगाई गई पाबंदी

वित्त विभाग ने जिन 73 योजनाओं पर अनुमति लेना जरूरी किया है, उनमें नगरीय विकास एवं आवास योजना की 08 योजनाएं हैं। इसमें कायाकल्प अभियान, महाकाल परिसर विकास योजना, नगरीय क्षेत्रों में अधोसंरचना निर्माण, एमनी अर्बन डवलपमेंट प्रोजेक्ट पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा कृषि विभाग की समर्थन मूल्य पर किसानों से फसल उपार्जन पर बोनस, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मुख्यमंत्री पुलिस आवास योजना, ऋण समाधान योजना, औद्योगिकीकरण अधोसंरचना विकास, डेस्टिनेशन मध्यप्रदेश इंवेस्ट ड्राइव, क्लस्टरों की स्थापना, वेदांत पीठ की स्थापना, रामपथ गमन अंचल विकास योजना, मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना, मुख्य जिला मार्गों एवं अन्य का नवीनीकरण, लाडली बहना आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, युवक-युवतियों को रोजगार प्रशिक्षण, ग्रामीण परिवहन नीति के क्रिय़ान्वयन, मां तुझे प्रणाम, स्टेडियम एवं अधोसंरचना निर्माण जैसी योजनाएं शामिल हैं।

इन 52 योजनाओं से हटाई गई रोक

वहीं, वित्त विभाग ने 52 योजनाओं से खर्च की पाबंदी को खत्म कर दिया है। जुलाई माह में वित्त विभाग ने 47 विभागों की 125 योजनाओं पर रोक लगाई थी। इसमें से 52 पर रोक हटा ली गई है। बताया जा रहा है कि आरबीआई से कर्ज लेने के बाद इन विभागों से रोक हटा ली गई है। उधर, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सतेन्द्र जैन के मुताबिक "प्रदेश में कोई भी योजना बंद नहीं हुई है। वित्त विभाग की अनुमति लेना वित्तीय अनुशासन की प्रक्रिया होती है।

प्रदेश सरकार के पास पैसों की कमी नहीं है। लगातार नई योजनाओं पर काम हो रहा है और पुरानी योजनाओं का भी लाभ लोगों को मिल रहा है।" इधर, कांग्रेस ने सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिए जाने को लेकर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता आरोप लगाते हैं "सरकार की अधिकांश योजनाएं कर्ज लेकर चल रही हैं।

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