सुनील पालीवाल की नजर में...✍️
लॉकडाउन के बाद अनलॉक वन में कई प्रदेशों और शहरों के चारों तरफ बाजार गुलजार नजर आ रहे हैं, वही जागरूकता की कमी साफ दिखाई दे रही है या लोग जानबूझकर प्रशासन के द्वारा दी गई राहत पर पानी फेरने पर आतुर नजर आ रहे है। सोशल डिस्टेसिंग का पालन किसी भी प्रकार से नहीं हो रहा है। जिसकी जैसी मर्जी वैसा आपना व्यापार करने में लगा हुआ है। सारे नियमों में धता बताते हुए व्यापारी बेखौफ नियमों को तोड़ते हुए दिख रहे हैं। शासन, प्रशासन हो या निगम के आला अधिकारी टेबल पर बैठकर कोरोना संक्रमित वायरस कोविड-19 के मामले में इतिश्री करते हुए दिखाई दे रहे है। सब एक दुसरे पर आपनी नैतिक जिम्मेदारी डाल कर कोरोना जैसी भयावाह बीमारी पर लापरवाही साफ झलक रही है।
लोगों में जागरूकता का अभाव कहेना भी बेमानी होगी क्योंकि प्रतिदिन सोशाल मीडिया पर टीवी चैनलों पर कोरोना के संबंध में बताया जा रहा है। लेकिन उसके बाद भी लोगों में उत्सुकता का अभाव साफ दिखाई दिया...। जानलेवा कोरोना वायरस बीमारी से हर कोई समझता जरूर है लेकिन खुद के ऊपर जब बात आती है तो लापवाही भी उतनी दिखती है जितनी बात करता है। लॉक डाउन में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना था किया किंतु अनलॉक के दौरान जनता के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों पर अतिरिक्त दबाव बनाकर अपने-अपने व्यापार खोलने की बात करते हुए दिखाई दिए...किसी ने भी कोरोना से कैसे बचे या उस संबंध में कोई उपाय नहीं बताएं...सभी की एक ही जिद् थी...नहीं साहब बड़ा संकट आ गया है, व्यापार नहीं खोला तो भूखे मर जाएगे...तमाम वो दलीले दी गई...जो काफी हद तक सही है, लेकिन मंथन करो अगर व्यापार करते समय किसी को कोरोना संक्रमित बीमारी ने आकर घेर लिया तब व्यापार करोगे या इलाज करोगें....सबुरी रखना चाहिए...शहर स्वस्थ हो गया तो व्यापार में एक नहीं दो प्रतिशत कमाई कर लेना...यह तभी संभव होगा...जब अपनी जान बची होगी...प्रशासन को कुछ नहीं बिगड़ता उनकी ओर से तमाम सारी व्यवस्थाएं कर रखी है। लेकिन तुम्हारी ओर से कुछ भी तैयारी नहीं की जा रहा है। जिंदा रहेगे तो कल फिर बाजार में जाकर खरीदी कर लेना लेकिन मर गए तो आज की स्थिति को देखते हुए रिस्तेदार भी जलाने नहीं आ पा रहे है। वैश्विक महामारी और संवेदशील मामलों मैं शांति से सोचा समझा जाता है। हर बात सरकार नहीं की जा सकती हैं कई मामलों में स्वयं को आत्मनिर्भर बनाना भी जरूरी हो जाता है। बड़ी मुश्किल से शहर ने दो माह से ज्यादा समय तक किस प्रकार शहरवासियों और ग्रामीणजनों ने पीड़ा भोगी है। वो पीड़ा भुगतभोगी ही बता सकता है। आज भी कुछ नहीं बिगड़ा हैं, जितना संभव हो सकें उतना घर परिवार में रहकर सुरक्षित रहिए...वरना कोरोना संक्रमित वायरस जातिवाद को देखकर नहीं आता बल्कि अपनी लापरवाही से आता है। जब संपूर्ण देश इस भयावाह बीमारी से ग्रस्त है तो हम कैसे बच सकते है। सरकार से जिनता संभव हुआ...उतना सुरक्षित रखा...अब आपको आत्मनिर्भर बनकर जागरूकता दिखाना होगी कि हम एक दुसरे के प्रति कैसे जागरूकता से रहें।
● पालीवाल वाणी ब्यूरो-Anil bagora...✍️
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