सतीश जोशी
आपातकाल में खबरों की खोज सभी पत्रकारों का जुनून होता है, रात को मेरे गुरुदेव गोपीकृष्ण जी गुप्ता ने कहा, कल 11.00 बजे प्रेस क्लब पहुंच जाना और फिर वहाँ से विश्व भ्रमण के सम्पादक रमेश जी अग्रवाल के साथ जिला जेल जाना है, मेरी वहाँ बात हो गई है, वे तुम्हारे साथ उनको भी जाने देंगे।
देश भर में चक्काजाम की खबर : उन्होंने बताया कि आपातकाल के खिलाफ देश भर में चक्काजाम होने वाला है, खबर लगानी है और मेरा उल्लेख नहीं करना है। उस समय विश्वभ्रमण मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी का कृपापात्र अखबार था और उसका बड़ा दबदबा था। एक समय तो विश्वभ्रमण ने नई दुनिया को भी टक्कर दे दी थी। सेठीजी की खास खबरें विश्वभ्रमण में ही ब्रेक होती थी।
जिस दिन देश भर के ट्रासपोर्रटरों ने हड़ताल की, तब यूएनआई से ही यह खबर देश भर में छपी और जब हड़ताल सफल हो गई तो दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में बड़ी हड़कम्प थी। यहीं से आपातकाल के गुब्बारे की हवा निकलने लगी थी। यह तारीख थी 17 दिसम्बर 1976।
मुझे लगता है कि इंदिरा शासन के खिलाफ वातावरण बनाने की जो रणनीति बनी थी, यह मुलाकात एक हिस्सा थी। आज मुझे लगता है कि भले मेरी पत्रकारिता का शैशवकाल था, पर आहिस्ते-आहिस्ते रिपोर्टिंग के क्षेत्र में मैंने अपनी जगह बना ली थी।
बाद में रमेश दादा बोले कि कर दिया ना अपन ने धमाका। असल में मैं नई दुनिया से था और रमेश दादा विश्वभ्रमण से। खबर यूएनआई से देश भर में छपी। याने गोपी दादा उस अभियान का हिस्सा थे , जिन्होंने यह खबर यूएनआई तक पहुंचाई और खबर लाने का जरिया हम बने। आज समझ में आता है कि आपातकाल के खिलाफ जंग का स्वरुप कितना कारगर और गोपनीय था।
सरदार शेरसिंह जी विलक्षण व्यक्तित्व थे। गोवा मुक्ति आंदोलन में पुर्तगाली पुलिस ने उनके साथ निर्मम पिटाई की थी, पर शेरसिंह जी तो वाकई शेर थे। उन्होंने ट्रांसपोर्ट कोआपरेटिव बैंक की भी स्थापना की थी। वे पीड़ितों के प्रति दयालू थे तथा जयप्रकाश नारायण का उन पर विशेष प्रेम था।