M. Ajnabee, Kishan paliwal
आमेट. केलवा रोड़ स्थित गांव ताणवाण में सात दिवसीय भागवत कथा का समापन सोमवार को यज्ञ,हवन एवं शोभायात्रा के साथ हुआ।
भागवत कथा समापन के दौरान महामंडलेश्वर योगी हितेश्वर नाथ जी ने बताया कि भारत को हिन्दु राष्ट्र की बनने की कामना को लेकर 108 भागवत कथा निशुल्क पुरे भारतवर्ष मै करने का सकल्प ले कर कथा कर रहा हूं। जो मेरा संकल्प है कोई भी भागवत कथा करवाना चाहते है। तो मे हमेशा तैयार रहूंगा।
भागवत कथा में महाराज ने कहा कि विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं। पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे। राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता। कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था।
महामंडलेश्वर योगी हितेश्वर नाथ जी ने कहा कि उद्धव जी भगवान के विशेष भक्त थे। जब भगवान व्रज से मथुरा आए और कंस को मारकर सभी यादवों को खुश किया, तो भगवान ने एकान्त में अपने प्रिय सखा उद्धव को बुलाया और कहा, “उद्धव! व्रज की गोपियाँ मेरे वियोग में व्याकुल होंगी, तुम जाकर उन्हें समझा आओ। उन्हें मेरा संदेश सुनाओ कि मैं तुमसे अलग नहीं हूँ, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।
उद्धव जी ने अपने इष्टदेव की आज्ञा का पालन करते हुए नंद के व्रज में जा पहुँचे।वहाँ, व्रजवासियों ने उद्धव जी को उन्हें चारों ओर से घेर लिया और विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछने लगे। कोई आँसू बहाने लगा, कोई मुरली बजाते-बजाते रोने लगा,कोई भगवान् का कुशल- समाचार पूछने लगा। उद्धव जी ने सबको यथायोग्य उत्तर दिया और सब को धैर्य बँधाया। उद्धव जी ने एकान्त में जाकर उन्होंने गोपियों को अपना ज्ञान-सन्देश सुनाया।
भगवान् वासुदेव कहीं एक जगह पर नहीं हैं, वे सर्वत्र व्यापक हैं। हमें उनमें भगवत-बुद्धि रखकर सर्वत्र उन्हें देखना चाहिए। गोपियों ने रोते-रोते कहा, ‘उद्धवजी! तुम ठीक कह रहे हो, पर हम गँवार और वनचरी हैं, इस गूढ़ ज्ञान को हम कैसे समझ सकते हैं? हमें तो वह श्यामसुंदर की भोली-भाली सूरत में ही खुशी मिलती है। उनका हास्यमय मुख,वृन्दावन की सम्पूर्ण भूमि पर उनकी अनगिनत स्मृतियों में बसा है।’इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष श्रंद्वालु उपस्थित थे।