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हाथरस केस : 10 दिन का मिला और समय, SIT आज नहीं सौंपेगी अपनी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Wed, 07 Oct 2020 01:03 PM
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हाथरस केस : 10 दिन का मिला और समय, SIT आज नहीं सौंपेगी अपनी रिपोर्ट
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लखनऊ । उत्तर प्रदेश के हाथरस में युवती के साथ हुई दरिंदगी की जांच कर रही एसआईटी आज अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपेगी। एसआईटी को जांच के लिए 10 दिन और समय दिया गया है। पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आज रिपोर्ट सौंपी जानी थी। एसआईटी को जांच के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया था। हालांकि पीड़ित के परिजनों ने सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है।

सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में बनाई गई एसआईटी लगातार पूछताछ कर रही है। भगवान स्वरूप के अलावा एसआईटी में डीआईजी चंद्र प्रकाश द्वितीय और एसपी पूनम बतौर सदस्य शामिल हैं।

100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज

गैंगरेप मामले की जांच कर रही टीम ने अपनी पड़ताल के दौरान 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं। पूछताछ में पीड़ित के परिवार, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी और अभियुक्तों के बयान दर्ज किए गए हैं। आपको बता दें राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता और पीड़िता को जल्द न्याय दिलाने के लिए पहले ही सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है।

कांग्रेस ने उठाए एसआईटी पर सवाल

कांग्रेस ने हाथरस मामले में एसआईटी और उत्तर प्रदेश पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता सुष्मिता देव ने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "मुख्यमंत्री को बचाने के लिए मामले के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और फर्जी थ्योरी पेश की जा रही है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की अपनी मांग दोहराई है।

सुष्मिता ने कहा, "एसआईटी का पदार्फाश हो गया है।" उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "एसआईटी वहां अपराध के बारे में जांच करने के लिए है या राज्य के मुख्यमंत्री को बचाने के लिए है। परिवार द्वारा कई सवाल उठाए गए हैं, जिनके जवाब नहीं मिले हैं।" कांग्रेस ने कहा, "अगर सीबीआई जांच का आदेश दिया गया है, तो एसआईटी वहां पर क्यों है। परिवार ने न्यायिक जांच की मांग की है। डीएम को कौन बचा रहा है?"

सरकार ने विपक्ष पर लगाए आरोप

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि यह वास्तव में निहित स्वार्थी लोगों द्वारा योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ एक साजिश है। जांच में सरकार को बदनाम करने और जातीय हिंसा भड़काने की साजिश की सामने आने के बाद साइबर सेल ने एक प्राथमिकी दर्ज की है।"

एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "सोशल मीडिया का इस्तेमाल साजिश करने और झूठी बातें फैलाने के लिए किया गया है और हमारे पास पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों के शामिल होने का सबूत है। कुछ माफिया डॉन जिन्हें योगी सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है, वे वित्तीय मदद के जरिए इस अभियान का समर्थन कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने, उसकी जीभ काटे जाने और उत्पीड़न की अन्य झूठी खबरें इस साजिश का हिस्सा थीं, जिसके लिए सोशल मीडिया पर कुछ वेरिफाइड अकाउंट का इस्तेमाल किया गया था।

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