Suryastak Path : वैदिक ज्योतिष मेंको ग्रहों का राजा माना गया है। साथ ही जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि किसी महिला की कुंडली में यह उसके पति के जीवन के बारे में बताता है। वहीं सूर्य देव मेष राशि में उच्च के माने जाते हैं। साथ ही तुला राशि में यह नीच के होते हैं। वहीं सिंह इनकी स्वराशि है। सेवा क्षेत्र में सूर्य उच्च व प्रशासनिक पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। यह लीडर (नेतृत्व करने वाला) का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव शुभ विराजमान स्थित होते हैं। वो लोग सरकारी नौकरी पाते हैं। साथ ही ऐसे लोगों को खूब मान- सम्मान की प्राप्ति होती है। वहीं यहां हम आपको ऐसे स्त्रोत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पाठ करने से आपके ऊपर सूर्य देव की आसीम कृपा रहेगी। साथ ही आपका भाग्योदय हो सकता है। आइए जानते हैं इस स्त्रोत के बारे में…
आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तुते ।।
सप्ताश्वरथ मारुढ़ं प्रचण्डं कश्यपात्पजम्।
श्वेत पद्मधरं तं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।।
लोहितं रथमारुढं सर्वलोक पितामहम्।
महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम्
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मा विष्णु महेश्वरं।
महापापं हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।।
वृहितं तेज: पुञ्जच वायुराकाश मेव च।
प्रभुसर्वलोकानां तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।
बन्धूक पुष्प संकाशं हार कुंडल भूषितम्।
एक चक्र धरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ।
तं सूर्य जगत् कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापाप हरं देवं तं सूर्य प्रणमाम्यहम् ।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञान विज्ञान मोक्षदम्।
महापापं हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं गृहपीड़ा प्रणाशनम।
अपुत्रो लभते पुत्रं दरिद्रो धनवान भवेत।
अभिषं मधु पानं च य: करोत्तिवेदिने।
सप्तजन्म भवेद्रोगी जन्म-जन्म दरिद्रता|
स्त्री तेल मधुमां-सा नित्य स्त्यजेन्तु रवेद्रिने।
न व्याधि: शोक दारिद्रयं सूर्यलोकं सगच्छति
-सूर्याष्टक का पाठ रविवार के दिन के दिन शूरू करना चाहिए। वहीं आप रोजाना सूर्योदय के समय पर सूर्याष्ठक का पाठ कर सकते हैं।
-सूर्याष्टक का पाठ करने से पहले नमक का सेवन न करें।