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धार्मिक वाणी : जीव का शिव से मिलन का महायोग-महाशिवरात्रि

धर्मशास्त्र Published by: Pulkit Purohit-Ayush Paliwal Updated Thu, 11 Mar 2021 02:18 AM
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● विनोद गोयल...✍️ 

भगवान शिव त्याग की प्रतिमूर्ति है कामदेव को भस्म करने वाले शिव जी महादेव के नाम से विश्वविख्यात है। शिव नाम का अर्थ है “कल्याण“। जो सबका कल्याण करें, संसार की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान करके प्राणीमात्र को अभय प्रदान करे वही शिव है, औढ़रदानी, करुणावतार भगवान सदाशिव  एक लोटा जल और एक बिल्वपत्र अर्पण करने मात्र से ही प्रसन्न होकर भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं। शास्त्रों में शिवजी को प्रसन्न करने के नाना प्रकार के साधन बताए गए है उन सभी साधनो में प्रमुख रुप से शिवरात्रि व्रत की महिमा सबसे ज़्यादा बताई गई है। शिवरहस्य के अनुसार-

चतुर्दश्यां तु कृष्णायां फाल्गुने शिवपूजनम्।

तामुपोष्य प्रयत्नेन विषयान् परिवर्जयेत्।।

यह व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव है  उनकी रात्रि में यह पावन  व्रत किया जाता है इसलिए इस व्रत का नाम शिवरात्रि हुआ है,यद्यपि शिवजी के भक्त प्रत्येक मास कि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को  शिवरात्रि का व्रत करते हैं किंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के निशीथ(अर्धरात्रि) काल में ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था उस कारण यह महाशिवरात्रि मानी जाती है।

शिवरात्रि व्रतं नाम सर्वपाप प्रणाशनम्।

आचाण्डाल मनुष्याणां भुक्ति मुक्ति प्रदायकम्।।

शिवरात्रि का व्रत सभी पापो का नाश करता है यह बिना किसी भेदभाव के मनुष्य मात्र को भोग और मोक्ष प्रदान करता है। आज के सूर्योदय से कल के सूर्योदय तक  रहने वाली चतुर्दशी शुद्धा नाम से जानी जाती है। प्रदोष काल से प्रारंभ हुई  निशीथ  (अर्धरात्रि)काल की चतुर्दशी  भी ग्राह्य   होती है। स्कन्द पुराण के अनुसार रात्रि के  समय भूत, प्रेत, पिशाच,शक्तियां और स्वयं शिवजी भ्रमण करते हैं अतःइस समय शिवपूजन करने से मनुष्य के समस्त पाप,ताप और संताप नष्ट हो जाते हैं और आरोग्य,ऐश्वर्य, शिवभक्ति की प्राप्ति होती है। वर्ष भर में आने वाली चार मुख्य रात्रियों में फाल्गुन की शिवरात्रि को महारात्रि कहा गया है इस रात्रि में किया गया पूजन,अभिषेक जप,तप  एक वर्ष का पुण्य प्रदान करता है विशेष कर सायंकाल में स्नान करके भस्म एवं रुद्राक्ष की माला  धारण करके रात्रि के चारों प्रहरों में शिवजी का पंचोपचार, षोडशोपचार, राजोपचार पूजन, अभिषेक, धूप दीप, नैवेद्य, आरती, रुद्रपाठ, ॐ नमः शिवाय  मन्त्र का जप करने से मनुष्य अपनी मनोवांछित कामनाओं को प्राप्त करता है। इस वर्ष 11 मार्च को अपराह्न 2ः39 मिनिट से प्रारंभ होकर 12 मार्च को अपराह्न 3ः02 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। प्रदोषकाल एवं निशीथकाल में रहने के कारण महाशिवरात्रि 11मार्च गुरुवार को ही मान्य होगी। इस महाशिवरात्रि पर गाय के घी (गौघृत ),केसर मिश्रित गौ दुग्ध ,फलो के रस से अभिषेक करना,कमल के पुष्प,बिल्वपत्र से शिवार्चन करना श्रेष्ठ होगा। जीव को शिव से मिलन का अर्थात् स्वयं से साक्षात्कार करने का परमयोग है महाशिवरात्रि भगवान शिव के प्रति प्रेम, सद्भाव, भक्ति से किया हुआ महाशिवरात्रि का व्रत निश्चित ही “शिवोहम्“ की अनुभूति करा देता है। जय शिव

आचार्य प.राहुलकृष्ण शास्त्री, श्री श्रीविद्याधाम, इंदौर, मध्यप्रदेश

● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Pulkit Purohit-Ayush Paliwal...✍️

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