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jain wani news : चातुर्मास समापन पर दिया संदेश जिनवाणी पर रखे श्रद्धा, गुरू चरणों में हो जाए समर्पित

सूरत Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Fri, 15 Nov 2024 10:09 PM
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 श्रावक-श्राविकाओं ने भावपूर्ण माहौल में गीतों व विचारों से व्यक्त की मन की भावना 

 महासाध्वी इन्दुप्रभाजी म.सा. के सानिध्य में चातुर्मासिक समापन कार्यक्रम 

सूरत. मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दु प्रभाजी म.सा. के सानिध्य में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में चातुर्मास का अंतिम दिवस वीर लोकाशाह जयंति सामायिक तेला तप के साथ मनाई गई.

चातुर्मास का अंतिम दिवस होने से साध्वी मण्डल ने गोड़ादरा श्रीसंघ से खमत खामणा करते हुए सभी के लिए मंगल भावनाएं व्यक्त की. श्रीसंघ की ओर से साध्वी मण्डल के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सुखद संयम जीवन की कामना की गई. कई श्रावक-श्राविकाओं में भावपूर्ण माहौल में मन की भावनाएं विदाई गीतों व विचारों के माध्यम से अभिव्यक्त की.

इस दौरान कई भक्तगण भावुक भी हो उठे, विदाई गीतों के माध्यम से गुरूणी मैया से यहीं विनती की गई कि आपको हम जाने से तो नहीं रोक सकते लेकिन अपने दिल में हमेशा हमारी जगह बनाए रखना. पूज्य इन्दुप्रभाजी म.सा. ने सभी के प्रति मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि सभी के समर्पित भाव से यह चातुर्मासिक अविस्मरणीय बन गया है.

वीर लोकाशाह जयंति पर उनके जीवन चरित्र के बारे में बताते हुए कहा कि उन जैसे श्रावक के कारण ही आज हम जिनवाणी व आगमवाणी का श्रवण कर रहे पा रहे है. लोकाशाह ने ही स्थानकवासी परम्परा की शुरूआत की ओर कई जगह धर्म आराधना के लिए स्थानक बनवाएं. ऐसे लोकाशाह सभी श्रावकों के लिए आदर्श है ओर उनके दर्शन के अनुरूप श्रावक जीवन हो जाए तो धर्म आराधना सार्थक हो सकती है.

धर्मसभा में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमे हमेशा गुरू के प्रति समर्पित रहते हुए तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है. प्रभु के जिन वचनों पर श्रद्धा रखे, गुरू के चरणों में समर्पित हो जाए एवं साधना के प्रति सजगता रखे. शुद्ध भावों के साथ जिनवाणी श्रवण कर पापी भी परमात्मा बन सकता है. उन्होंने चौमासी पक्खी होने से सभी को प्रतिक्रमण के साथ संवर करने एवं रात्रि भोजन व जमीकंद त्याग की प्रेरणा दी.

तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. ने जिनवाणी श्रवण की प्रेरणा देते हुए कहा कि एक प्रवचन सुनने से 100 किताबों का ज्ञान मिलता है. इसलिए जिनवाणी श्रवण का अवसर कभी नहीं छोड़ना चाहिए. उनके संयोजन में सर्व मंगल की कामना से श्री उवसग्गहरं स्रोत का जाप किया गया. धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा.आदर्श सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. एवं तरूण तपस्वी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ.

श्रावक संघ के साथ महिला मण्डल, कन्या मण्डल, बहु मण्डल, नवयुवक मण्डल, नवकार विहार सेवा ग्रुप आदि ने गीतिकाओं के माध्यम से मन के भाव व्यक्त किए। चातुर्मास में चार माह निरन्तर गतिमान रहे नवकार महामंत्र जाप में रखी गई तस्वीर व रजत कलश की बोली लगाई गई. तस्वीर की बोली के लाभार्थी धनराजजी भण्डारी परिवार बारडोली वाले रहे. कलश की बोली के लाभार्थी रतनलालजी हिंगड़ परिवार (बोराणा वाले) रहा.

चातुर्मासकाल में प्रतिदिन दोपहर 2 से 3 बजे तक होने वाले नवकार महामंत्र जाप का समापन भी शुक्रवार दोपहर 3 बजे हो गया. अंतिम दिन भी जाप में कई श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए. कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान भी लिए. प्रवचन में निकाले गए 15 लॅक्की ड्रॉ के लाभार्थी पुखराजजी, विकासकुमारजी, मुकेशकुमारजी पानगड़िया परिवार (कंवलियास वाले) रहा.

गौतमप्रसादी के लाभार्थी सुरेशचन्द्रजी, राजेन्द्रप्रसादजी, अनिलकुमारजी चौधरी परिवार लिम्बायत (आसीन्द-परासोली वाले) रहा. धर्मसभा में सूरत उपसंघों से भी कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे. बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया. संचालन नवयुवक मण्डल के सदस्य विजयराजजी नाहर ने किया.

समारोह में चातुर्मास में विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाले भाई-बहनों का भी श्रीसंघ द्वारा सम्मान किया गया. चातुर्मास समापन पर शनिवार सुबह 8.30 बजे साध्वी मण्डल का प्रथम विहार गोड़ादरा से लिम्बायत तेरापंथ भवन में होगा.

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, लिम्बायत, गोड़ादरा, सूरत (गुजरात) सम्पर्क एवं सूचना राजकुमारी खाब्या

???? 9898296659

आवास व्यवस्था : अरविन्द नानेचा

???? 7016291955

 प्रस्तुति : निलेश कांठेड़, अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा

???? 9829537627

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