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सत्य साधना के दौरान शरीर दर्शन में सेंसेशन को महसूस कर समता बनाये रखना जरूरी : श्री जिनचन्द्र सूरीजी

रतलाम/जावरा Published by: जगदीश राठौर Updated Mon, 27 Sep 2021 02:15 AM
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रतलाम. शहर रतलाम में आयोजित 10 दिवसीय सत्य साधना शिविर के चतुर्थ दिवस रविवार को श्री पूज्य जी श्री जिनचंद्र सूरी जी महाराज साहब ने साधक साधिकाओं को शिविर के दौरान कहा कि तीर्थंकर भगवान महावीर ने भव चक्र को संसार चक्र को समझाने का मार्ग बता दिया. साधक जवाहर डोसी व शिरीष सकलेचा ने बताया कि रविवार को शिविर कर रहे है 200 साधकों ने सत्य दर्शन की साधना की शुरुआत की. सत्य दर्शन यानी सम्यक दर्शन समता पूर्वक अपने शरीर के सेंसेशन को देखना और कोई प्रतिक्रिया नहीं करना. सत्य दर्शन में शरीर के छोटे-छोटे हिस्सों में सेंसेशन को अनुभव करना होता है और समता को बनाए रखना होता है. सत्य साधना शिविर में मोटिवेशनल वीडियो भी दिखाए जा रहे हैं. जिससे  साधकों को साधना करने में आसानी होती है. सत्य साधना में शिविर में सबसे कम आयु 14 वर्ष के साधक साधिका है भी पूर्णतया 24 घंटे पूर्णतया मौन का पालन बड़ी कड़ाई से कर रहे है. यह साधक प्रात : 4 : 00 बजे उठते हैं और रात को 9 : 00 बजे सोते हैं. रात्रि में एलईडी के माध्यम से जिनचन्द्र सूरी जी के रिकार्ड प्रवचन भी साधकों को दिखाए जाते है. सभी साधक शिविर के टाइम टेबल का बड़ी कढ़ाई के साथ पालन कर रहे हैं.

● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क.जगदीश राठौर...✍️

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