रतलाम : (जगदीश राठौर...) न्यायालय विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट रतलाम योगेंद्र कुमार त्यागी के द्वारा पारित निर्णय के अनुसार अभियुक्त् संदीप पिता मोहन लाल राठौर उम्र 21 साल निवासी ग्राम निपानिया बदर जिला उज्जै्न को धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का कठोर कारावास और 2000रू अर्थदंड धारा 366 भादवि में 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000 रू अर्थदंड दंडित किया गया।
प्रकरण में पैरवीकर्ता विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट रतलाम श्रीमती गौतम परमार ने बताया कि गत 23. जनवरी 2020 को फरियादिया अभियोक्त्री की मां ने थाना रावटी पर उपस्थिति होकर बताया कि गत 22. जनवरी 2020 को मेरी पुत्री/ अभियोक्त्री (उम्र 13 वर्ष 6 माह 20 दिन) सुबह करीब 10 बजे घर से स्कूल जाने का बोलकर गई थी जो स्कुल की छूट्टी होने पर घर नही आई तो मैने और मेरे पति ने उसे स्कूल के आसपास गांव में और रिश्तेदारो में काफी तलाश कि किन्तु उसका कोई पता न चला। फरियादिया को शंका थी कि उसकी नाबालिग लडकी को कोई अज्ञात व्यक्ति बहलाफुसला कर ले गया।
उक्त सूचना पर से थाना रावटी जिला रतलाम पर पीड़िता के गुम होने की सूचना दर्ज की गई। जांच के उपरांत अपराध क्रमांक 34/2020 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट भा.द.स. की धारा 363 के अंतर्गत अज्ञात आरोपी के विरुद्ध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया । 25. जनवरी 2020 को बस स्टैण्ड शिवगढ जिला रतलाम पर पुलिस ने पहुंचकर पीडिता को उसके माता-पिता के समक्ष दस्तयाब कर थाना रावटी पर अभियोक्त्री को लाया गया जहां अभियोक्त्री ने बताया कि 10 जनवरी 2020 को मेले में अपने भाभी, भैया के साथ गई थी। मेरे भैया भाभी मेले में सामान खरीदने लगे, मैं फोटो खिचवाने के लिये रूक गई वहीं पर मेरी बातचीत आरोपी संदीप (उम्र 23 वर्ष) राठौर से हो गई थी। तभी से मेरी बातचीत आरोपी संदीप से होने लगी। आरोपी संदीप ने मुझे 21. जनवरी 2020 की रात को अगले दिन सुबह मिलने रावटी में बुलाया। सुबह 10 बजे घर से मेरे स्कूल जाने का कहकर आरोपी संदीप से मिलने रावटी मेले में चली गई। वह मुझे रावटी मेले से जान से मारने की धमकी देकर बस में बैठा कर रतलाम लेकर आया। उसने मुझे रात में रतलाम के पास में स्टूडियो की दुकान में रखा स्टूडियो का नाम मुझे याद नहीं। आरोपी संदीप ने मुझे स्टूडियो की दुकान में रखकर मेरे साथ मेरी मर्जी के बिना खोटा काम (बलात्कार) किया। स्टूडियो में उसने मुझे 2 दिन तक रखा वहां कोई भी नहीं था। जब आरोपी संदीप किसी काम से स्टूडियो के बाहर चला गया था। मैं मौका देखकर वहां से भागकर शिवगढ की बस में बैठ गई थी।
शिवगढ़ जाते ही मैंने मेरे पिताजी को फोन कर शिवगढ बुला लिया था। विवेचना के दौरान अभियुक्त संदीप को गिरफ्तार किया गया तथा आवश्यक विवेचना उपरांत अभियोग पत्र भा.द.सं. की धारा 366, 342, 376(2)(आई), 376(2)(एन),506 भादवि एवं धारा 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अभियुक्त, संदीप के विरुद्ध माननीय विशेष न्यायालय पॉक्सोा एक्ट में प्रस्तुत किया गया। विचारण उपरांत विशेष न्यायालय द्वारा पारित निर्णय को अभियोजन की ओर से प्रस्तुूत दस्तावेजी एवं मौखिक साक्ष्य को प्रमाणित मानते हुए अभियुक्त संदीप को दोषसिद्ध किया गया। पीडिता के साथ हुए अपराध की क्षतिपूर्ती पीडिता को प्रदान किये जाने हेतु न्यायालय ने अनुशंसा की।